विश्व गुरु बनकर भारत भयमुक्त अर्थव्यवस्था के लिए करेगा दुनिया का मार्गदर्शनः डॉ. पुणताम्बेकर

सागर, 19 दिसंबर (हि.स.)। शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में मंगलवार को विकसित भारत 2047 के अंतर्गत सम्पन्न एवं सुदृढ अर्थव्यवस्था विषय पर व्याख्यान/परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विवि सागर के वाणिज्य विभाग के प्राध्यापक डॉ. जीएल पुणताम्बेकर ने कहा कि भारत सुपर पावर नहीं बनना चाहता। हां, वह विश्व गुरू जरूर बनना चाहता है, क्योंकि सुपर पावर जहां अन्य देशों को भयाक्रांत कर उनका शोषण करता है, वहीं विश्व गुरू बनकर भारत भयमुक्त अर्थव्यवस्था के लिए दुनिया का मार्गदर्शन करेगा।

उन्होंने कहा कि भारत में विकसित बनने के लिए आर्थिक निर्णयों में जीएसटी, तकनीकि निर्णयों में डिजीटल समृद्धि तथा सामाजिक निर्णय में कोरोना वैक्सीन बनाकर विश्व को निःशुल्क प्रदान की है। यह नया अर्थशास्त्र है। भारत विश्व का अकेला ऐसा एक मात्र देश है, जिसने कभी किसी देश पर पहले हमला नहीं किया और यह बात विश्व में हमारी विश्वसनीयता को बढ़ाता है। आर्थिक विषयों के जानकार डॉ. मुणताम्बेंकर ने बताया की नोट बंदी में पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था को आयना दिखाया है।

प्राचार्य डॉ. संजीव दुबे ने कहा कि भारत की जनसंख्या भारत को विशाल श्रमशक्ति और उससे महत्वपूर्ण उपभोक्ता बाजार प्रदान करता है, जिसके दम पर भारत विकसित राष्ट्र बनेगा।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए वाणिज्य विभाग के प्राध्यापक डॉ. अमर कुमार जैन ने विकसित भारत की संकल्पना को साकार करते हुए कहा कि विकसित भारत /2047 का उद्देश्य आजादी के 100वें वर्ष अर्थात 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है जिसके लिए आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, पर्यावरणीय स्थिरता और सुशासन सहित विकास के विभिन्न पहुलुओं को विकसित करना है। भारत को 2047 तक 35 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था के साथ विश्व राष्ट्र बनाना है। कार्यक्रम में डॉ. शुचिता अग्रवाल, डॉ. भरत शुक्ला, डॉ. रविन्द्र सिंह ठाकुर, डॉ. मुन्नालाल सूर्यवंशी सहित 200 विद्यार्थी उपस्थित थे।

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