-अयोध्या के संत बोले- मंदिर निर्माण में गोरक्षपीठ की भूमिका अहम
– मुख्यमंत्री योगी को जाता है अपने पूर्ववर्ती आचार्यों के देखे स्वप्न को पूरा करने का सौभाग्य
-दिग्विजयनाथ जी महराज ने जगाई अलख, अवेद्यनाथ ने सहभोज कर हिंदुओं को जगाया
-पहले जयश्रीराम कहने पर चलती थी गोली, आज अयोध्या में कैबिनेट बैठक कराते हैं मुख्यमंत्री
अयोध्या, 4 जनवरी (हि.स.)। सर्वविदित है कि श्रीराम मंदिर निर्माण में गोरक्षपीठ की अहम भूमिका है। अयोध्या के संतों का मानना है कि अपने पूर्ववर्ती आचार्यों के देखे स्वप्न को पूरा करने का सौभाग्य गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ को जाता है। महंत दिग्विजनाथ जी महराज ने अलख जगाई। महंत अवेद्यनाथ जी महराज ने हिंदुओं को एकत्र किया तो वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ अयोध्या आकर मंदिर निर्माण की चिंता और चिंतन करते थे, लेकिन सीएम बनते ही अयोध्या को वे टाट से ठाठ की ओर ले गए।
योगी आदित्यनाथ ने रखी सांस्कृतिक आजादी की नींव
सिद्धपीठ हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने बताया कि अयोध्या सज-संवर रही है। अयोध्या को नव्यता, दिव्यता भव्यता और टाट से ठाठ की ओर ले जाने में गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ को श्रेय जाता है। एक समय था कि जब पूज्य योगी जी महराज साल में चार-पांच बार आकर संतों के साथ चिंता व चिंतन करते थे कि कैसे मंदिर निर्माण हो। अब सीएम बनने के बाद महीने में पांच-छह बार आकर दर्शन करने के बाद विकास कार्यों को कैसे गति मिले, इस पर नजर रखते हैं। पूज्य दिग्विजयनाथ जी महराज ने जो अलख-लौ जगाई, जिसे लेकर पूज्य अवेद्यनाथ महराज ने संतों के संघर्ष-उनकी याद-समर्पण- सेवा भाव उत्पन्न किया। जो भाव दिग्विजयनाथ जी का था, अवेद्यनाथ जी ने त्याग-तपस्या-संघर्ष किया। दबे-कुचले-शोषितों के साथ बैठकर छुआछूत को समाप्त करने का प्रयास किया। सहभोज-खिचड़ी भोज कर हिंदुओं को एकत्र कर जगाया। अयोध्या में रामकालीन अयोध्या कैसे बनाई जाए। सिर्फ मंदिर निर्माण ही नहीं, बल्कि देश की आजादी के समय का भाव आज भी मनुष्य के अंदर कैसे उत्पन्न हो, यह समय-समय पर महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवेद्यनाथ व महंत योगी आदित्यनाथ ने लोगों में जगाने का कार्य किया। अयोध्या को विकास व पर्यटन स्थल से कैसे जोड़ा जाए। महर्षि वाल्मीकि के नाम पर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन एयरपोर्ट जैसा दिख रहा है। नेता अयोध्या आने से भागते-घबराते और कतराते थे। सीएम बनने के चौथे दिन ही योगी आदित्यनाथ अयोध्या आना और हनुमान जी महराज के दर्शन कर राम जन्मभूमि जाना किसी नेता के बस की बात नहीं थी। राम सम कालीन अयोध्या कैसे बनाई जाए, यह सीख किसी भी प्रदेश के सीएम को योगी आदित्यनाथ से लेनी चाहिए। भगवान जब टाट में थे सीएम योगी आदित्यनाथ ही उन्हें वैकल्पिक मंदिर में लेकर आए। टेंट और वस्त्र फटे थे। सांस्कृतिक आजादी की नींव योगी आदित्यनाथ ने रखी, वह साकार होता दिख रहा है। अयोध्या के अनुरूप विकास का ध्यान रखना गौरव की बात है। कभी जयश्रीराम बोलने पर गोली चल जाती थी पर योगी आदित्यनाथ आज कैबिनेट बैठक करा देते हैं।
मुख्यमंत्री योगी को जाता है अपने पूर्ववर्ती आचार्यों के देखे स्वप्न को पूरा करने का सौभाग्य
जगद्गुरु राम दिनेशाचार्य महराज हरिधाम गोपाल मंदिर रामघाट ने बताया कि 500 वर्ष के लंबे संघर्ष के बाद भगवान श्रीराम अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान हो रहे हैं। इसके इतिहास को देखते हैं तो गोरक्षपीठ की भी अहम भूमिका रही है। गो आंदोलन हो या राम जन्मभूमि आंदोलन, चाहे अस्पृश्ता का आंदोलन रहा हो, गोरक्षपीठ के पूर्ववर्ती आचार्यों ने बढ़ चढ़कर इसमें हिस्सा लिया। गोरक्षपीठ इस पर आगे बढ़कर साहसिक कार्य के लिए अग्रसर रहा है। पूज्य महंत दिग्विजयनाथ जी महराज रहे हों या ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महराज। पूर्ववर्ती आचार्यों ने जो स्वप्न देखा था, उसे पूरा करने का श्रेय व सौभाग्य पूज्य महंत योगी आदित्यनाथ महराज को प्राप्त हो रहा है। संपूर्ण विश्व अयोध्या और राम मंदिर की ओर देख रहा है। जब-जब इसके नींव और संघर्षों को याद किया जाएगा तो हम गोरक्षपीठ के उन पूर्ववर्ती आचार्यों को याद करेंगे। यह भी इतिहास बनने वाला है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उसी परंपरा के प्रवाहक के रूप में भगवान श्रीरामलला को दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान करने के साक्षी बनेंगे तो हम गोरखनाथ मंदिर व पूर्वाचार्यों की भी चर्चा करेंगे।