पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की नीतियों के प्रति विरोध जताते हुए कपूरथला राइस मिलर एसोसिएशन के सदस्यों ने एक साथ मिलकर “नो स्पेस- नो एग्रीमेंट” का निर्णय लिया है। यह निर्णय धान की फसल को शेलर में न लगवाने के कारण उठाया गया है। इस विरोध के दौरान, खासतौर पर मौजूदा सीजन में सरकारी धान के शेलर में लगवाने से संबंधित परेशानियों और आर्थिक नुकसान पर चर्चा की गई। राइस मिलर एसोसिएशन के पंजाब प्रधान तरसेम सैनी के निर्देश पर, कपूरथला जिला प्रधान दविंदरवीर सिंह चाहल की अध्यक्षता में एक होटल में एक बैठक आयोजित की गई।
बैठक में शेलर मालिकों ने बताया कि AAP सरकार की नीतियों के कारण उन्हें गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे शेलर उद्योग पर जोखिम मंडरा रहा है। सभी सदस्यों ने एकमत होकर यह फैसला किया कि सीजन 2024-25 के दौरान कोई भी राइस मिलर अपने शेलर में सरकारी धान नहीं लगवाएगा। इसका मुख्य कारण यह बताया गया कि खाद्य निगम इंडिया (FCI) में चावल रखने के लिए स्थान की कमी है, और मौजूदा सीजन में फसलों की बिजाई अधिक हो जाने के कारण यील्ड कम और नुकसान अधिक हो रहा है।
इस महत्वपूर्ण बैठक में उपस्थित सदस्यों ने एक सुर में यह कहा कि मौजूदा नीतियों के चलते उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर सरकार उनके शेलर में धान का भंडारण करना चाहती है, तो उसे लीज अग्रीमेंट के तहत ही ऐसा करना चाहिए, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए, उपस्थित सदस्यों ने यह सुनिश्चित किया कि शेलर मालिकों को होने वाले आर्थिक नुकसान का समाधान निकाला जाए।
कपूरथला राइस मिलर एसोसिएशन के इस विचार-विमर्श में प्रमुख सदस्य जैसे दविंदरवीर सिंह चाहल, जयपाल गोयल, नामदेव अरोड़ा, सुशील आनंद और अन्य कई गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। सभी ने एकजुट होकर सरकार को यह संदेश देने का प्रयास किया कि वर्तमान परिस्थितियां शेलर मालिकों के लिए वाकई कठिनाईपूर्ण हैं। राइस मिलर्स का एकजुट होना इस बात का प्रमाण है कि वे अपनी आवाज को मजबूत तरीके से प्रस्तुत करना चाहते हैं।
कुल मिलाकर, कपूरथला राइस मिलर एसोसिएशन ने स्पष्ट कर दिया है कि वे AAP सरकार की नीतियों के खिलाफ हैं और सीजन 2024-25 में सरकारी धान न लगाने का फैसला कर चुके हैं। यह निर्णय न केवल उनके खुद के हितों की रक्षा के लिए है, बल्कि पूरे उद्योग के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। ऐसे समय में, जब कृषि क्षेत्र में समस्याएं बढ़ी हुई हैं, यह आंदोलन शेलर मालिकों की सशक्त आवाज को दर्शाता है।