अलवर रामगढ से विधायक जुबेर खान का निधन

अलवर रामगढ से विधायक जुबेर खान का निधन

अलवर , 14 सितंबर (हि.स.)। जिले के रामगढ़ से विधायक व कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव जुबेर खान का शनिवार सुबह करीब पांच बजकर पचास मिनट पर निधन हो गया। वह काफ़ी समय से बीमार चल रहे थे। उनके देहांत की सूचना उनकी पत्नी सफिया जुबेर खान ने सोशल मीडिया के माध्यम से दी। जिसके बाद अलवर जिले में शोक की लहर छा गई। खान की सभी समाज के लोगों में अच्छी पकड़ थी। जिस कारण जिलेभर के लोग सोशल मीडिया के माध्यम से शोक जता रहे हैं। जुबेर खान के निधन पर मुख्यमंंत्री भजनलाल और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संवेदनाएं प्रकट की हैं।

खान अलवर कांग्रेस का बहुत बड़ा चेहरा थे। सोनिया गाँधी औऱ प्रियंका गाँधी से उनकी नजदीकियां थी। अलवर शहर के निकट ढाई पेडी स्थित खुद के फार्म हाउस पर उन्होने अंतिम सांस ली। जुबेर खान के जनाजे को आज असर की नमाज के बाद शाम 5 बजे, गैस गोदाम के पास, रामगढ़ में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मेव पंचायत के संरक्षक शेर मोहम्मद ने बताया कि जुबेर खान की अंतिम इच्छा थी कि उनके देहांत के बाद उन्हें रामगढ में ही दफनाया जाये। क्योंकि रामगढ उनकी कर्मभूमि रही है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष योगेश मिश्रा ने बताया कि कांग्रेस पार्टी के लिए यह बहुत बड़ी क्षति हैं। वे काफ़ी अनुभवी थे। बताया जा रहा है कि जुबेर खान का एक साल पहले लीवर ट्रांसप्लांट हुआ था। जिसके बाद से वे काफी बीमार चल रहे थे।

-जुबेर 26 साल की उम्र में बने विधायक

जुबेर खान अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और उत्तर प्रदेश के पार्टी सह प्रभारी रह चुके हैं। इससे पहले, जुबेर खान तीन बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य चुने गए थे। 1990 में वे 26 साल की उम्र में भारत के सबसे युवा विधायक बने, 1993 और 2003 में विधायक रहे।

खान 2003 से 2008 तक राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक रह चुके हैं। वे एनएसयूआई के बैनर पर दो बार जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी चुने गए।

जुबेर खान का जन्म राजस्थान के अलवर के ग्रामीण क्षेत्र उमरैन में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता बाघ सिंह 38 साल तक सरपंच रहे। जुबैर खान ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में और उच्च शिक्षा नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में प्राप्त की। जामिया मिलिया इस्लामिया में , खान का राजनीतिक जीवन शुरू हुआ और उन्होंने विश्वविद्यालय की भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के सदस्य और छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

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