वीआईपी नंबर के लिए चुकाना पड़ सकता है 28 प्रतिशत तक जीएसटी, ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में होगा विचार

वीआईपी नंबर के लिए चुकाना पड़ सकता है 28 प्रतिशत तक जीएसटी, ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में होगा विचार

– यूपी सरकार ने वीआईपी नंबर की नीलामी राशि पर जीएसटी लगाने का दिया प्रस्ताव

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (हि.स.)। अपनी गाड़ी के लिए वीआईपी नंबर लेने के शौकीन लोगों पर अब भारी भरकम जीएसटी का बोझ भी पड़ सकता है। गाड़ियों के वीआईपी नंबर पर जीएसटी लगाने का सुझाव उत्तर प्रदेश की सरकार ने जीएसटी दरों की समीक्षा करने और उन्हें तर्कसंगत बनाने के लिए गठित ग्रुप आफ मिनिस्टर्स (जीओएम) को दिया है। जीओएम की बैठक 20 अक्टूबर को होने वाली है। माना जा रहा है कि इस बैठक में वीआईपी नंबर लेने पर 18 से 28 प्रतिशत तक जीएसटी लगाया जा सकता है।

गाड़ियों को स्पेशल या वीआईपी नंबर रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस से जारी किए जाते हैं। इसके लिए गाड़ी खरीदने वाले को अलग से पैसा देना होता है। रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस कुछ विशेष नंबरों के लिए नीलामी भी करता है, जिसमें कई बार लाखों रुपये की बोली लगती है। फिलहाल गाड़ियों के वीआईपी या स्पेशल नंबर के लिए नीलामी की राशि के अतिरिक्त और कोई पैसा नहीं देना होता है और न ही इस पर किसी तरह का टैक्स लगाया जाता है। वीआईपी या स्पेशल नंबर के लिए नीलामी में लगने वाली रकम की बात है तो 0001 से लेकर 0009 जैसे नंबर के लिए 20 से 30 लाख रुपये तक की बोली लग जाती है। इसी तरह से 0786, 1008 जैसे धार्मिक मान्यता वाले नंबरों के लिए भी 10 से 15 लाख तक की बोली लगती है। सीरीज वाले नंबर जैसे 1111, 2222, 3333 से लेकर 9999 तक के लिए भी 3 से 5 लाख तक की बोली लगती है।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दिए गए सुझाव में कहा गया है कि चुनिंदा वीआईपी या स्पेशल नंबर के लिए लाखों रुपये खर्च करने वाले लोग आसानी से इस पर 18 से 28 प्रतिशत तक जीएसटी भी चुका सकते हैं, जिससे सरकार की आय में इजाफा हो सकता है। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की 20 अक्टूबर को होने वाली बैठक में करीब 100 आइटम्स की जीएसटी दरों की समीक्षा की जानी है। इसी दौरान गाड़ियों के वीआईपी या स्पेशल नंबर पर जीएसटी लगाने के उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा सकता है। ग्रुप का मिनिस्टर्स की बैठक में हेयर ड्रायर और डिशवॉशर जैसे व्हाइट गुड्स पर जीएसटी बढ़ाने की बात पर भी चर्चा की जा सकती है। इसके अलावा फुटवियर्स, टेक्सटाइल और फूड आइटम्स पर लगने वाली जीएसटी की दर को घटाने की बात पर भी विचार हो सकता है। इस बैठक में अलग-अलग राज्य सरकारों से मिले सुझावों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

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