ED की चंडीगढ़ छापेमारी: सूर्या फार्मा की 185 करोड़ की संपत्ति जब्त, 828 करोड़ की धोखाधड़ी उजागर!

चंडीगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सूर्या फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड से संबंधित भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्त्व वाले बैंकों के समूह को 185.13 करोड़ रुपये की संपत्तियां वापस करने का निर्णय लिया है। ईडी ने देर रात एक आधिकारिक बयान में जानकारी दी कि यह कार्रवाई तब की गई जब कंपनी के निदेशकों, राजीव गोयल और अलका गोयल, पर आरोप लगे कि उन्होंने बैंक के साथ कर्ज धोखाधड़ी की है, जिससे कुल मिलाकर 828.50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

ईडी ने बताया कि 25 अक्टूबर 2024 को विशेष अदालत द्वारा जारी एक बहाली आदेश के अंतर्गत कुर्क की गई संपत्तियों को पीएमएलए नियमों के तहत वापस करने की अनुमति दी गई थी। इस मामले की शुरुआत सीबीआई नई दिल्ली द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से हुई थी, जिसमें सूर्या फार्मास्यूटिकल्स और उसके निदेशकों के खिलाफ कर्ज धोखाधड़ी और आपराधिक गतिविधियों का आरोप लगाया गया था। जांच में पाया गया कि कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करते हुए बैंक से लोन लिया, जिसमें चालान, परिवहन विवरण, और लॉरी रसीदें शामिल थीं। इसके अलावा, कंपनी द्वारा समूह की कंपनियों और झूठे संस्थाओं के बैंक खातों का इस्तेमाल कर बैंक को भारी नुकसान पहुंचाया गया।

सूर्या फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने अधिकतम आर्थिक लाभ उठाने के लिए विभिन्न जाली दस्तावेजों का सहारा लिया। इसमें विदेशी साख पत्र (एफएलसी) जारी करने के लिए जाली बिल, आयात चालान और अन्य शिपिंग दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। इसके परिणामस्वरूप, कंपनी ने धोखाधड़ी के तहत धन की राउंड-ट्रिपिंग के माध्यम से अपने बैंक खातों में पैसा जमा किया। इस धोखाधड़ी के बाद, राजीव गोयल और अलका गोयल भारत से भागने में सफल रहे और उन्हें 10 जुलाई 2017 को चंडीगढ़ की अदालत द्वारा अपराधी घोषित किया गया।

ईडी ने इस मामले में कठोर कदम उठाते हुए एक अनंतिम कुर्की आदेश जारी किया, जिसके अंतर्गत 185.13 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियां जब्त की गईं। जब्ती की गई संपत्तियों में जम्मू के सांबा में स्थित 80 कनाल भूमि, साथ ही विभिन्न संयंत्र, मशीनरी, फर्नीचर और जुड़नार शामिल हैं। एक बार फिर, यह मामला इस बात की ओर इशारा करता है कि कैसे कुछ कंपनियां धोखाधड़ी के माध्यम से बैंकिंग प्रणाली का दुरुपयोग करती हैं और किस प्रकार इन कंपनियों के निदेशकों को दंडित किया जाना आवश्यक है।

संपत्तियों की वापसी और अवैध गतिविधियों के खिलाफ ईडी की कार्रवाइयां इस दिशा में सख्त कदम हैं कि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी से बैंकों को हो रहे नुकसान को रोका जा सके। यह मामला न केवल वित्तीय संस्थाओं के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकारी एजेंसियां किसी भी तरह के आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ खड़ी हैं। सरकार की यह दृढ़ता अर्थव्यवस्था में विश्वास को बनाए रखने के लिए आवश्यक है, जहां सभी प्रतिभागियों को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करने के लिए प्रेरित किया जा सके।