पंजाब पुलिस द्वारा नशा तस्करी के खिलाफ उठाए गए ठोस कदम के तहत, पहली बार पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत एक नशा तस्कर को डिटेन किया गया है। जिला गुरदासपुर के गांव शाहपुर कलां निवासी अवतार सिंह उर्फ तारी को बठिंडा सेंट्रल जेल में दो साल की अवधि के लिए डिटेंशन पर भेजा गया है। यह कार्रवाई काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसके माध्यम से नशा तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत मिलता है। अवतार सिंह के खिलाफ करीब छह महीने से राज्य के गृह मंत्रालय में अन्य नशा तस्करों के खिलाफ भी प्रस्ताव लंबित पड़े हुए थे।
इसके अलावा, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की अनुमति के साथ पंजाब के तीन अन्य नशा तस्करों के खिलाफ डिटेंशन की कार्रवाई शुरू कर दी है। इस तरह से तस्करों के खिलाफ मौजूद 70 अन्य प्रस्तावों पर भी कार्रवाई की जा रही है। यह उल्लेखनीय है कि तारी के खिलाफ यह पहली बार हुआ है कि पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के तहत डिटेंशन आदेश जारी किया गया है। इससे नशा तस्करी के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक नई उम्मीद जगी है।
अवतार सिंह पिछले लंबे समय से हेरोइन की तस्करी से जुड़े हुए हैं, और उनके तार पाकिस्तान से जुड़े तस्करों के साथ हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, वह अब तक 231 किलो हेरोइन की तस्करी कर चुका है, और इसके पीछे एक विस्तृत नेटवर्क काम कर रहा है। उनके खिलाफ पहले से ही दो मामलों में सजा की प्रक्रिया चल चुकी है, जो उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि को दर्शाती है। यह मामला तस्करी के खिलाफ न केवल पंजाब में, बल्कि पूरे देश में नशे की समस्या से निपटने में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
भविष्य में ऐसी उम्मीद है कि अन्य नशा तस्करों के खिलाफ भी इसी तरह की डिटेंशन कार्रवाई की जा सकती है। ज्ञात रहे कि एनसीबी ने इससे पहले 17 अगस्त को बठिंडा जेल में बंद नशा तस्कर अक्षय छाबड़ा और जसपाल सिंह उर्फ गोल्डी को डिटेन कर डिब्रूगढ़ जेल में भेजने का निर्णय लिया था। इस प्रकार की कार्रवाइयाँ नशा तस्करी के खिलाफ चल रहे संघर्ष को और मजबूत बनाती हैं और सरकार की दृढ़ नीतियों को दर्शाती हैं।
पंजाब पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के संयुक्त प्रयासों से ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई की जा रही है, जिससे न केवल तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो रही है, बल्कि समाज में भी नशे की समस्या के खिलाफ जागरूकता फैलाने की कोशिश की जा रही है। यह कदम नशा तस्करी के जड़ से मिटाने में मददगार साबित हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप एक स्वस्थ समाज की दिशा में कदम उठाया जा सकता है।