लुधियाना में छात्र की फीसल की कोशिश: टीचर की पिटाई और पटाखों से परेशानी!

लुधियाना के मुल्लापुर क्षेत्र में एक गंभीर घटना सामने आई है, जहां एक सरकारी स्कूल के 12वीं कक्षा के एक छात्र ने फिनाइल पी लिया। यह घटना स्कूल के बाथरूम में हुई, और इसके बाद स्कूल में हंगामा मच गया। छात्र को सहयोगी छात्रों की मदद से तुरंत एम्बुलेंस के जरिए मुल्लापुर के सिविल अस्पताल भेजा गया, लेकिन उसकी हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे लुधियाना के सिविल अस्पताल में रेफर कर दिया। इस घटना के बारे में छात्रों के परिजनों को सूचना दी गई, जिससे परिवार में चिंताएं बढ़ गईं।

घटनाक्रम के अनुसार, नामजद छात्र, शिव कुमार, ने बताया कि वह हसनपुर के सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहा है। बताया गया कि स्कूल में कुछ छात्रों ने पटाखा जलाया, जिसके कारण वहां अफरा-तफरी मच गई। इस दौरान एक शिक्षक ने बिना किसी उचित कारण के शिव को कक्षा से बाहर घसीटते हुए प्रिंसिपल के कार्यालय तक पहुंचा दिया। इस अपमानजनक स्थिति को देख कर अन्य छात्रों ने शिव पर हंसना शुरू कर दिया, जिससे वह मानसिक रूप से आहत हो गया।

मारपीट और अपमान से प्रभावित होकर शिव ने बाथरुम में जाकर फिनाइल पीने का निर्णय लिया। उसने लगातार यह स्पष्ट किया कि वह पटाखा नहीं चला रहा था, फिर भी उसके साथ हुई बेजा कार्रवाई का असर उसके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा। इससे उसकी स्थिति काफी बिगड़ गई, और तुरंत चिकित्सा के लिए उसे अस्पताल भेजा गया। स्कूल प्रशासन को इस मामले में संपर्क किया गया, लेकिन किसी ने भी फोन का जवाब नहीं दिया, जिससे प्रशासन की असंवेदनशीलता का पता चलता है।

इस मामले को लेकर शिव के परिजनों ने भी चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि वे अब गांव की पंचायत के माध्यम से इस घटना का समाधान निकालने में जुटे हुए हैं। परिवार का मानना है कि इस गंभीर मामले की जल्द सुनवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे परेशानियों का सामना अन्य छात्रों को न करना पड़े। यह घटना स्कूलों में छात्रों के प्रति सहानुभूति और उचित व्यवहार की आवश्यकता को दर्शाती है, और प्रशासनिक स्तर पर भी इस स्थिति की पुनरावृत्ति रोकने के उपायों पर विचार करने की जरुरत है।

इस घटनाक्रम ने न केवल शिव के परिवार को बल्कि क्षेत्र के अन्य छात्रों और अभिभावकों को भी चिंतित कर दिया है। ऐसे में यह जरूरी है कि स्कूलों में ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए ठोस नियम और दिशा-निर्देश लागू किए जाएं। समाज के हर वर्ग को इस बात की जिम्मेदारी लेनी होगी कि वे बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें ताकि भविष्य में ऐसी अप्रिय घटनाओं से बचा जा सके।