पंजाब की चार विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि आज (बुधवार) है। सभी इच्छुक उम्मीदवारों को अपना नामांकन वापस लेने के लिए आज दोपहर 3 बजे तक चुनाव कार्यालय पहुंचना अनिवार्य है। वर्तमान में इस चुनावी मैदान में कुल 48 उम्मीदवार शामिल हैं। नामांकन वापस लेने के बाद, जो उम्मीदवार चुनाव में बने रहेंगे, उन्हें चुनाव आयोग द्वारा चुनावी चिन्ह आवंटित किया जाएगा। यह चुनाव राज्य की बरनाला, डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल और गिद्दड़बाहा विधानसभा सीटों पर हो रहा है। इन सीटों पर उपचुनाव इसलिए जरूरी हो गया, क्योंकि यहां के विधायक अब सांसद बन चुके हैं और उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था।
बरनाला, डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल और गिद्दड़बाहा सीटों पर उपचुनाव में भाग लेने वालों में कई ऐसे उम्मीदवार हैं, जो पहले से सांसद बने नेताओं के परिवार के सदस्य हैं। गिद्दड़बाहा सीट से सांसद बने अमरिंदर सिंह राजा वडिंग की पत्नी कांग्रेस की ओर से चुनावी मैदान में हैं। इसी प्रकार, डेरा बाबा नानक सीट से सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा की पत्नी जतिंदर कौर और चब्बेवाल से सांसद डॉ. राज कुमार चब्बेवाल के बेटे इशांक चब्बेवाल भी चुनाव लड़ रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि पारिवारिक राजनीतिक विरासत इस बार चुनावी परिणामों को कैसे प्रभावित करती है।
अगर हम इन चार सीटों के बारे में विस्तार से बात करें, तो बरनाला को छोड़कर बाकी तीन सीटें पहले कांग्रेस के पास थीं। उल्लेखनीय है कि इन चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की लंबी सूची प्रस्तुत की है। उदाहरण के लिए, बरनाला सीट पर आम आदमी पार्टी से हरिंदर सिंह धालीवाल, कांग्रेस से कुलदीप सिंह काका ढिल्लों, भारतीय जनता पार्टी से केवल सिंह ढिल्लो, और शिरोमणि अकाली दल से गोबिंद सिंह संधू मैदान में हैं।
उपचुनाव की इन चारों सीटों पर उम्मीदवारों की सूची काफी संकीर्ण हो चुकी है, जिसमें हर पार्टी अपने सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का प्रयास कर रही है। चुनाव प्रचार के मद्देनजर सभी पार्टियां अपनी-अपनी राजनीति के अनुसार वोटरों के बीच अपनी पहचान बनाने में जुटी हैं। चुनावी माहौल में मतदाता अब यह तय करेंगे कि किसे मौका दिया जाए और किस पार्टी की नीतियों को वे अपना समर्थन देते हैं।
उपचुनाव की प्रक्रिया में सबसे अहम चरण नामांकन वापस लेने का है। इसके बाद, उम्मीदवारों को चुनावी चिन्ह मिलने पर चुनाव प्रचार के लिए तैयार होना होगा। पंजाब की राजनीति में यह उपचुनाव कई अहम संकेत दे सकता है, क्योंकि इससे राज्य की राजनीतिक दिशा और आने वाले समय में पार्टीयों की स्थिति का पता चलेगा। ऐसे में नागरिकों की नजरें आगामी चुनावों पर टिकी रहेंगी, जो न केवल वर्तमान नेतृत्व को चुनौती देंगे, बल्कि भविष्य की राजनीतिक परिप्रेक्ष्य का भी निर्धारण करेंगे।