महापौर चुनाव लड़ने के लिए कर्मचारी संगठनों की हुई बैठक, तीन कर्मचारी नेताओं के नाम पर हुआ विचार
जगदलपुर, 17 नवंबर (हि.स.)। कर्मचारियों की ज्वलंत समस्याओं/मांगों पर प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों द्वारा लगातार उपेक्षा किए जाने तथा कर्मचारियों से वादा खिलाफी करने के कारण इस बार नगरीय निकाय के महापौर चुनाव में कर्मचारी वर्ग भी अपना प्रतिनिधि चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है। नगरीय निकाय चुनाव में कर्मचारी प्रतिनिधि के चुनाव लड़ने को लेकर शहर से सटे एक फार्म हाउस में रविवार काे बस्तर जिले के समस्त कर्मचारी संगठनों की एक बैठक संपन्न हुई। बैठक में कर्मचारी नेताओं ने कहा कि हर चुनाव में प्रदेश की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टी कर्मचारियों की मांगों/ समस्याओं के निराकरण की घोषणा पत्र जारी करती है, किंतु जैसे ही उस पार्टी की सरकार बनती है वह कर्मचारियों को भूल जाती है। जिससे कर्मचारी वर्ग में दोनों ही राजनीतिक पार्टियों के प्रति गहरा आक्रोश देखा जा रहा है।
दोनों राजनीतिक पार्टियों के प्रति कर्मचारियों के असंतोष को देखते बस्तर जिले के समस्त कर्मचारी संगठनों ने मिलकर यह निर्णय लिया कि कर्मचारियों की मांगों/ समस्याओं को सरकार के पटल पर प्रमुखता से रखने और उसके निराकरण के लिए कर्मचारी प्रतिनिधि का होना आवश्यक है। अतः 2025 को होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में कर्मचारी वर्ग का अपना प्रतिनिधि होगा। आज की संपन्न बैठक में प्रमुखता राजपत्रित अधिकारी संघ, प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, शिक्षक संघ, पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ, चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ, कृषि विकास विस्तार अधिकारी संघ, डिप्लोमा इंजीनियर संगठन, लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ, स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ, न्यायालय कर्मचारी संघ, प्रदेश शिक्षक संघ, शिक्षक फेडरेशन, डाटा एंट्री ऑपरेटर संघ, अनुदान प्राप्त शिक्षक संघ, बेवरेज स्टेट कॉरपोरेशन, वाहन चालक संघ, ग्रामीण चिकित्सक संघ, लघु वेतन चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ, राजस्व निरीक्षक संघ, राजस्व पटवारी संघ, महिला बाल विकास पर्यवेक्षक संघ, बस्तर विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ, आश्रम छात्रावास अधीक्षक संघ, तथा अन्य कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित रहे।
कर्मचारी फेडरेशन के संभागीय अध्यक्ष गजेंद्र श्रीवास्तव ने महापौर चुनाव लड़ने की पुष्टि करते हुए बताया कि बैठक में कर्मचारी प्रतिनिधि के उम्मीदवार के रूप में तीन कर्मचारी नेताओं के नाम पर विचार विमर्श किया गया है। आगे दो-तीन बैठकों के बाद तथा अन्य विभाग के कर्मचारियों से चर्चा उपरांत अंतिम नाम पर फैसला किया जाएगा।
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