कोप 29- पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सभी हों एकजुट : कीर्तिवर्धन सिंह

कोप 29- पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सभी हों एकजुट : कीर्तिवर्धन सिंह

नई दिल्ली, 19 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने मंगलवार को बाकू, अजरबैजान में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के उच्च स्तरीय खंड में सीओपी29 (कोप 29) को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि सभी देशों से यूएनएफसीसीसी और इसके पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सामूहिक लड़ाई लड़ने के लिए आगे आना चाहिए। इन बैठकों में जो भी निर्णय हो, वह हम सभी को, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ में न केवल महत्वाकांक्षी शमन कार्रवाई करने में सक्षम करेगा बल्कि जलवायु परिवर्तन के अनुकूल भी होगा।

कीर्तिवर्धन ने दोहराया कि इस मंच पर निर्णय समानता, जलवायु न्याय और पेरिस समझौते के मूल सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों, सतत विकास लक्ष्यों और गरीबी उन्मूलन के संदर्भ, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के हितों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ जलवायु परिवर्तन के कारकों को कम करने के कारण भारी वित्तीय बोझ उठा रहे हैं और दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान और क्षति का भी सामना करना पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में भारत की पहलों के बारे में मंत्री ने बताया कि देश ने 2030 से बहुत पहले कार्बन उत्सर्जन तीव्रता में कमी एवं गैर जीवाश्म आधारित स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता पर 2015 के एनडीसी लक्ष्यों को हासिल कर लिया है। भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 2014 से लगभग तीन गुना हो गई है और देश 2030 तक 500 गीगावाट का लक्ष्य प्राप्त करने की राह पर है।

कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत एक अरब पौधे लगाए जा चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने विश्व को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा लचीलापन अवसंरचना के लिए गठबंधन (सीडीआरआई), वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, उद्योग संक्रमण और संसाधन दक्षता पर नेतृत्व समूह और परिपत्र अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन जैसी अपनी पहलों के बारे में जानकारी दी।

सभा को राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) की याद दिलाते हुए कीर्तिवर्धन ने कहा कि यह जरूरी है कि विकसित देश शमन कार्यों में नेतृत्व दिखाएं, न केवल अपने शुद्ध शून्य लक्ष्यों को आगे बढ़ाकर, बल्कि विकासशील देशों को विकसित करने के लिए पर्याप्त कार्बन स्पेस प्रदान करके। उन्होंने सीओपी 29 को इसके परिणामों में सार्थक और प्रभावशाली बनाने की दिशा में दृढ़ संकल्प के साथ काम करने की दिशा में भारत के पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।

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