प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में चंडीगढ़ क्षेत्र में कार्रवाई की है। यह मामला गुगलानी समूह की कंपनियों से संबंधित है, जिनमें चंडीगढ़, मोहाली, अमृतसर, पंचकूला, बद्दी और गुजरात के कुल 11 स्थान शामिल हैं। 179.28 करोड़ रुपए के इस धोखाधड़ी केस में ईडी ने रेड के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और 3 लाख रुपए की नकदी बरामद की। ईडी ने बताया कि यह कार्यवाही 5 नवंबर को एक साथ कई राज्यों में की गई थी, जिससे स्पष्ट होता है कि यह मामला कितना गंभीर है।
ईडी की जांच मुख्यतः गुगलानी समूह की कंपनियों मेसर्स सुपर मल्टी कलर प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स डन फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ चल रही दो बैंक धोखाधड़ी के मामलों पर केंद्रित थी। इन दोनों मामलों में क्रमशः 125.40 करोड़ रुपए और 53.88 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की गई थी। यह यथार्थ में 179.28 करोड़ रुपए का एक बड़ा घोटाला बनता है। ईडी के सूत्रों के अनुसार, इन मामलों की विस्तृत जांच काफी समय से चल रही थी।
ईडी ने इस मामले की जड़ सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में पाई। एजेंसी के अनुसार, मेसर्स सुपर मल्टीकलर्स प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स डन फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों, सुनील गुगलानी और सुमन गुगलानी के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के एक संघ को जानबूझकर नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया गया है। इसी एफआईआर का इस्तेमाल करते हुए ईडी ने अपनी जांच को आगे बढ़ाया है।
इस संदर्भ में अधिकारियों ने बताया कि यह बैंक धोखाधड़ी की घटना केवल वित्तीय नुकसान ही नहीं, बल्कि वित्तीय प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी असर डालती है। ऐसे बड़े घोटालों की जांच करना सरकार और संबंधित एजेंसियों के लिए बेहद जरूरी है, ताकि संदिग्ध तत्वों को नियंत्रित किया जा सके और भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति ना हो सके। ईडी और सीबीआई की इस तरह की संयुक्त जांचें यह सुनिश्चित करती हैं कि वित्तीय ऐक्तिव्हिदी में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारतीय वित्तीय प्रणाली में धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए कितनी सख्त निगरानी की आवश्यकता है। जो सामान्य लोग वित्तीय संस्थानों पर भरोसा करते हैं, उन्हें आश्वासन मिलना चाहिए कि उनके निवेश की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। आगामी समय में इस मामले की ताजा जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्या आगे और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं या इस धोखाधड़ी में और कौन-कौन से लोग शामिल हैं।