चातुर्मास समाप्ति पर संक्रान्ति महोत्सव का अद्भुत विदाई समारोह हुआ

**लुधियाना में संक्रांति महोत्सव पर आयोजित विदाई समारोह**

लुधियाना के एसएस जैन सभा, सिविल लाइंस द्वारा आयोजित चातुर्मास समापन और संक्रांति महोत्सव पर विदाई समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में युग पुरुष उप प्रवर्तक सुभाष मुनि महाराज, प्रवचन दिवाकर सुधीर मुनि महाराज और साध्वी डॉ. अर्चना महाराज ठाणा-5 जैसी प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति ने समारोह को और भी भव्य बना दिया। इस अवसर पर उपस्थित सभी भक्तों ने भक्ति रस में डूबकर विदाई गीत गाए, जिसमें अंजलि, शशी, लब्धि जैन, विन्नी, आयुषी और रविंदर जैन के साथ-साथ प्रसिद्ध गायक स्वतंत्र जैन ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा।

समारोह में कई जैन सदस्यों ने अपने दिल को छूने वाले शब्दों से सभी का मनोबल बढ़ाया। दीप जैन, प्रो. रमेश जैन, डॉ. बबीता जैन, निर्मला जैन, जितेन्द्र जैन, ललिता जैन जैसे सदस्यों ने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए आत्मीयता से वातावरण को भरपूर किया। महामंत्री प्रमोद जैन ने इस चार माह के प्रवास की गहराई को महसूस करते हुए कहा कि यह समय जैसे पलभर में ही बीत गया। साध्वी अर्चना महाराज ने इस दौरान दान, शील, तप और भावना के चार महत्वपूर्ण उपायों का उल्लेख करते हुए सभी दानदाताओं, तपस्वियों और मुमुक्षुओं को साधुवाद दिया।

इस समारोह में संत जैन ने तिलक राज जैन शिवपुरी के निवास पर राकेश जैन और राज कुमार जैन से भेंट की, जहाँ उनके विचारों को सुनकर सभी लोग धन्य महसूस कर रहे थे। युग पुरुष उप प्रवर्तक सुभाष मुनि महाराज ने संक्रांति के शुभ अवसर पर मंगल पाठ का आयोजन किया, जिसने उपस्थित जन समूह को एक नई ऊर्जा और उत्साह से भर दिया।

सभी ने इस अवसर को एक नई शुरुआत के रूप में देखा, जिसमें संगठित होकर आगे बढ़ने और अपने धर्म का पालन करने की कड़ी में एकजुटता दिखाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। यह समारोह साध्वी अर्चना महाराज के अद्वितीय मार्गदर्शन के तहत मनाया गया और उन्होंने सभी को इस कठिन समय के दौरान एक-दूसरे के साथ रहने तथा संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा दी। यह न केवल धार्मिक कार्यक्रम था, बल्कि सामुदायिक एकता और व्यक्तिगत विकास का एक अनूठा उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

इस विदाई समारोह ने सभी उपस्थित लोगों के दिलों में एक उत्साह और प्रेरणा का संचार किया, जिससे उन्हें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने की प्रेरणा मिली। इसलिए, इस कार्यक्रम का महत्व केवल धर्मिक श्रेणी तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को एक नई दिशा प्रदान किया।