जालंधर: किसानों के लिए 1015 टन डीएपी खाद का वादा, DC की करिश्माई घोषणा!

जालंधर के डिप्टी कमिश्नर हिमांशु अग्रवाल ने आज किसानों के लिए डीएपी खाद की उपलब्धता की स्थिति पर विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिले में डीएपी खाद की कोई कमी नहीं होगी और इसकी नियमित सप्लाई सुनिश्चित की गई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिले में 1015 टन डीएपी खाद उपलब्ध है, जिसमें से 1 नवंबर तक 500 टन सहकारी समितियों और 515 टन निजी फर्मों को वितरण किया जाएगा। इस पहल से किसानों को आवश्यक समय पर खाद की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जिससे उनकी फसलों की बेहतर खुराक संभव हो सकेगी।

डीसी अग्रवाल ने यह भी बताया कि गेहूं की बुआई के लिए डीएपी की जगह अन्य फॉस्फेटिक उर्वरकों का उपयोग करने की सिफारिश की गई है। पंजाब के कृषि विभाग की निर्देशानुसार, किसानों को ट्रिपल सुपर फॉस्फेट, एनपीके और सिंगल सुपर फॉस्फेट जैसे उर्वरकों का विकल्प उपलब्ध है। इन उर्वरकों का उपयोग फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने और मिट्टी की सेहत को बनाए रखने के लिए फायदेमंद होगा। उन्होंने आगे कहा कि डीएपी के स्थान पर जिले में ट्रिपल सुपर फॉस्फेट के तीन रैक भी आ चुके हैं, जिससे पर्याप्त आपूर्ति और भी सहज हो सकेगी।

डिप्टी कमिश्नर ने किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उन्हें खाद की आपूर्ति को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जिला प्रशासन द्वारा कृषि उर्वरकों की जमाखोरी और कालाबाजारी पर कड़ी नजर रखी जा रही है। यदि किसी भी व्यक्ति को इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त पाया गया, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को पहले से ही आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

कृषि अधिकारी डॉ. सुरजीत सिंह ने इस विषय पर विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि डीएपी खाद के विकल्प के रूप में ट्रिपल सुपर फॉस्फेट (0:46:0), एन.पी.के. 12:32:16, सिंगल सुपर फॉस्फेट एन.पी.के. 16:16:16 और एन.पी.के. 20:20:13 जैसे उर्वरक फसलों के लिए उपयोगी साबित होंगे। इन उर्वरकों के इस्तेमाल से किसानों को अपनी फसलों की वृद्धि और विकास में सहायता मिलेगी और यह उन्हें अधिक उत्पादन प्राप्त करने में मदद करेगा।

इस प्रकार, हिमांशु अग्रवाल ने किसानों को विश्वास दिलाया कि इस वर्ष की फसल के लिए खाद की आपूर्ति में कोई रुकावट नहीं आएगी। प्रशासन के प्रयास और पुन: वितरण की प्रणाली से स्पष्ट है कि किसानों को फसल की बंपर पैदावार के लिए सभी आवश्यक संसाधन समय पर उपलब्ध होंगे।