कपूरथला जिले में पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने रविवार को विभिन्न गांवों का दौरा किया। इस दौरान किसानों को पराली जलाने से भूमि की सेहत पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। प्रशासन ने यह भी बताया कि कैसे सब्सिडी पर उपलब्ध मशीनों का सही ढंग से उपयोग करके पराली का निस्तारण किया जा सकता है। उप डिवीजनल मजिस्ट्रेट (SDM) सुल्तानपुर लोधी, अपर्णा और कृषि विकास अधिकारी, डॉ. जसपाल सिंह ने शतबगढ़, फरीद सराय, तरफ बहिबल और जब्बोवाल के खेतों पर जाकर आग बुझाने का कार्य किया और आग लगाने वाले किसानों के चालान भी किए। सुल्तानपुर लोधी तहसील में इस संबंध में कुल 32 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 2500 से लेकर 15000 रुपए तक के चालान काटे गए हैं।
वहीं, SDM कपूरथला, डॉ. इरविन कौर और कृषि अधिकारी, डॉ. बलकार सिंह ने बामुवाल और रमीदी गांवों में आग बुझाने की कार्रवाई की और आग लगाने वाले किसानों से जुर्माना भी वसूला। इस मौके पर, मुख्य कृषि अधिकारी, डॉ. बलबीर चंद्र की अगुवाई में एक विशेष टीम ने फगवाड़ा के दरवेश गांव, जगतपुर जट्टां, भनौकी, नगल और ऊंचा पिंड में जाकर किसानों के साथ मिलकर मल्चर और बेलर के माध्यम से पराली के निस्तारण की प्रक्रिया की भी समीक्षा की।
तहसीलदार फगवाड़ा और कृषि अधिकारी, परमजीत महे ने धक पंडोरी, मानक, वाहिद, और ब्रह्मपुर गांवों का दौरा किया, जहां उन्होंने किसानों को खेतों में पराली का निस्तारण करने के लिए प्रोत्साहित किया। सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बुड्ढा थेह का निरीक्षण किया। यहां किसान कुलवंत सिंह ने नूरपुर जट्टां सहकारी समिति से कृषि उपकरण लेकर खेतों में पराली की जुताई कर रहे थे, जिससे उनकी फसल के लिए लाभकारी परिणाम देखने को मिले।
इसी कड़ी में, प्रवेज नगर के किसान संदीप सिंह, जो शेखूपुर सोसायटी से कृषि यंत्र लेकर मल्चर के माध्यम से पराली का निस्तारण कर रहे थे, ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि खेतों में पराली को जुड़ने से न केवल भूमि की सेहत में सुधार होता है, बल्कि यह फसल की उत्पादकता में भी वृद्धि करता है। इस प्रकार, क्षेत्र में पराली जलाने के मामलों को कम करने के लिए प्रशासन का प्रयास निश्चित रूप से एक सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक सिद्ध हो रहा है।
किसानों को दी जा रही जानकारी और मशीनरी का सही उपयोग करना, खेतों की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करेगा और पर्यावरण की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा। प्रशासन और किसानों के सहयोग से इस समस्या का समुचित समाधान खोजा जाएगा, जिससे क्षेत्र के विकास में नई ऊंचाइयां छुई जा सकेंगी।