लुधियाना में दिवाली की रात एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने तीन गरीब परिवारों के लिए अंधकार ला दिया, जब उनकी झोपड़ियां अचानक आग की लपटों में जल गईं। यह आग मानों एक चिंगारी से शुरू हुई, जो पटाखों की वजह से भड़की और धीरे-धीरे आसपास की झोपड़ियों को भी अपनी चपेट में ले लिया। स्थानीय निवासियों की झुग्गियों में सो रहे लोग किसी तरह आग के बीच से बाहर निकलकर अपनी जान बचाने में सफल रहे, लेकिन उनका सारा सामान जलकर खाक हो गया।
इस हादसे के बाद, शुक्रवार को लोग उग्र हो गए और अपने अधिकारों की मांग को लेकर जमालपुर रोड पर प्रदर्शन किया। उन्होंने मार्ग को जाम कर दिया और नारेबाजी की। यह घटना राजीव गांधी कॉलोनी के नजदीक हुई, जहां कई गरीब परिवार निवास करते हैं। घटना के बारे में जानकारी देते हुए लोगों ने बताया कि दिवाली की रात मंदिर की समिति और कुछ अन्य स्थानीय लोग पटाखे चला रहे थे और जब उन्होंने उन्हें रोका, तो वे नहीं माने। इसके परिणामस्वरूप, पटाखों की चिंगारी सीधा उनकी झोपड़ियों पर गिरी और आग लग गई।
प्रदर्शनकारियों ने इस घटना को एक सोची-समझी साजिश के रूप में देखा। जतिंदर गोरिया और रितेश जयसवाल जैसे स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया कि झुग्गी झोपड़ी के निवासियों को हटाने के लिए जानबूझकर पटाखे चलाए गए। आग के चलते इन गरीब परिवारों ने अपनी सम्पत्ति खो दी, जिसमें उनके कपड़े और टू व्हीलर तक शामिल थे। इस त्रासदी ने उन्हें सड़कों पर आने के लिए मजबूर कर दिया।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला। प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करते हुए, पुलिस ने उन्हें आश्वासन दिया कि मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी और जो लोग पटाखे चला रहे थे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही पुलिस ने यह भी कहा कि वो प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे, ताकि उन्हें पुनर्वास के लिए सहायता मिल सके।
इस घटना ने एक बार फिर दिवाली जैसे त्योहार के दौरान सुरक्षा और सावधानी की आवश्यकता को उजागर किया है। स्थानीय लोगों की एकजुटता और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष इस बात की पुष्टि करता है कि समाज में आपसी सहयोग और जिम्मेदारी कितनी महत्वपूर्ण है। अब इंतजार है कि प्रशासन इस मामले में सख्त कार्रवाई करें और प्रभावित परिवारों को न्याय मिले।