पंजाब के मानसा जिले के गांव जवाहरके में हाल ही में एक विवादास्पद प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसमें गांव की लड़कियों को गांव के लड़कों से विवाह करने या प्रवासी युवकों से शादी करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। पंचायत ने इस प्रस्ताव के अनुसार, अगर किसी लड़की ने प्रवासी युवक से विवाह किया, तो उसे गांव में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस फैसले ने स्थानीय समुदाय में हलचल मचा दी है और इसके पीछे की सोच भी चर्चा का विषय बन गई है।
गांव के गुरुद्वारा साहिब में हुई अंतिम अरदास के दौरान केवल सादा भोजन बनाने का प्रस्ताव पास किया गया है। इसके अलावा, जो कोई भी मिठाई बनाना चाहता है, उसे पहले पंचायत को 31,000 रुपये की धनराशि जमा करानी होगी। यह कदम गांव के धार्मिक और सामाजिक रीति-रिवाजों को संरक्षित करने के लिए उठाया गया है, लेकिन कई लोग इसे अत्यधिक और अनुचित मान रहे हैं। पंचायत के फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करने के लिए है कि गांव की युवा पीढ़ी सही दिशा में आगे बढ़े।
गांव के सरपंच रणबीर कौर और पंचों ने बताया कि पंचायत ने एक अन्य प्रस्ताव भी पास किया है, जिसमें कहा गया है कि गांव में नशे की कारोबारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यदि कोई युवक नशा बेचता पाया गया, तो न केवल उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, बल्कि पंचायत का कोई सदस्य भी उनकी जमानत के लिए नहीं जाएगा। यह नशे की समस्या से निपटने का एक कठोर कदम है, जिसे पंचायत ने गंभीरता से लिया है।
गांव के युवाओं को चेतावनी दी गई है कि वे गांव के बस स्टैंड पर इकट्ठा न हों। पंचायत का यह निर्णय युवा पीढ़ी को अनुशासन में रखने तथा उन्हें सामाजिक बुराइयों से दूर रखने की एक कोशिश मानी जा रही है। हालांकि, कुछ लोग इस प्रणाली को अनुचित मानते हैं और इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन समझते हैं।
गांव जवाहरके के इस फैसले का व्यापक असर पड़ सकता है, खासकर युवाओं के जीवन पर। जहां एक ओर पंचायत का यह कदम ग्राम संस्कृति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों पर सवाल भी खड़ा करता है। समाज में ऐसे नियमों के स्थापित होने से क्या एक नए किस्म की सामाजिक असहमति उत्पन्न होगी, यह देखने वाली बात होगी।