पंजाब के मुक्तसर जिले में सोमवार को भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर ने अपनी समस्याओं को लेकर डीएमओ कार्यालय का घेराव किया। इस दौरान किसानों ने पंजाब सरकार और प्रशासन के खिलाफ तीखे नारे लगाए। किसानों का कहना है कि डाईअमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) खाद की कमी के कारण उनकी गेहूं की बुवाई में देरी हो रही है, जिससे उन्हें विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही, मंडियों में धान की लिफ्टिंग नहीं होने से धान की बोरियों का ढेर लग गया है, जिसके चलते मंडियों में धान की भंडारण के लिए जगह की कमी हो गई है।
किसानों ने समाचार रिपोर्ट्स में यह भी बताया कि 1 अक्टूबर से धान की सरकारी खरीद की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन खरीद की धीमी गति के चलते उन्हें कई दिनों तक अपनी बोरियों के साथ मंडियों में बैठना पड़ रहा है। किसानों ने जोर देकर कहा कि सरकार की तरफ से पराली उठाने का कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। जब भी कोई किसान पराली जलाने की कोशिश करता है, तो उस पर मुकदमे दर्ज कर दिए जाते हैं। हालांकि, सरकार पराली प्रबंधन के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन वास्तव में उनके खेतों से पराली का निस्तारण नहीं किया जा रहा है, जिससे उनकी गेहूं की फसल का समय पर बोना भी प्रभावित हो रहा है।
किसान यूनियन के सदस्यों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्दी ही इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो वे खुद पराली का प्रबंधन करने के लिए मजबूर होंगे। इसके अलावा, उन्होंने संकल्प लिया है कि यदि प्रशासन किसानों के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है, तो किसान यूनियन कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ खड़ी रहेगी।
किसानों का मानना है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो उन्हें अपने तरीके से पराली की समस्या का समाधान निकालना पड़ेगा। यह उनकी फसल और भविष्य का मामला है, जिससे वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनका जोरदार प्रदर्शन स्पष्ट करता है कि वे अपनी मांगों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और सरकार से अपेक्षा करते हैं कि उनकी समस्याओं का जल्द समाधान किया जाए।
इस प्रदर्शन से साफ है कि किसानों के मुद्दे अब सिर्फ व्यक्तिगत नहीं रह गए हैं, बल्कि यह एक व्यापक समुदाय का विषय बन चुका है। किसान एकजुट होकर अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं और अब किसी भी प्रकार की बर्बरता या दमन को बर्दाश्त नहीं करने के संकेत दे रहे हैं।