पंजाब के शंभू बॉर्डर और खनोरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में आज तीन घंटे के लिए रेल सेवाएं बाधित की गई हैं। इस संदर्भ में फाजिल्का में विभिन्न किसान संगठनों द्वारा रेलवे ट्रैक को जाम करने का फैसला लिया गया है। किसान जत्थेबंदियों ने रेलवे ट्रैक पर धरना शुरू कर दिया है, जिससे कई ट्रेनों के रूट प्रभावित हो रहे हैं। आंदोलन की स्थिति को देखते हुए पुलिस बल भी तैनात किया गया है ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे।
भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धपुर के जिला सचिव लखविंदर सिंह और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के जिला अध्यक्ष कुलविंदर सिंह ने कहा कि खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन के विरोध में यह प्रदर्शन किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आयोजित इस प्रदर्शन के तहत आज रेलवे ट्रैक को तीन घंटे के लिए जाम कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि फाजिल्का जिले के विभिन्न गांवों से बड़ी संख्या में किसान धरने में शामिल होने के लिए आए हैं।
किसान नेताओं ने कहा कि जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 23 दिनों से आमरण अनशन पर हैं, जिनकी मांगें सरकार द्वारा अनसुनी की जा रही हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में रेलवे ट्रैक को स्थायी रूप से जाम कर दिया जाएगा। उनका यह स्पष्ट संदेश है कि वे अपने अधिकारों के लिए उठ खड़े हुए हैं और किसी भी कीमत पर अपनी आवाज उठाते रहेंगे।
रेलवे स्टेशन मास्टर अरविंद कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि फाजिल्का से फिरोजपुर, कोटकपूरा से फाजिल्का और राजस्थान के गंगानगर से फाजिल्का आने वाली ट्रेनों के रूट प्रभावित हुए हैं। कई ट्रेनें एक या दो घंटे की देरी से चल रही हैं। इसके अतिरिक्त, शाम के समय आने वाली ट्रेनों में भी विलंब की संभावना है, जिससे यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
किसान आंदोलन ने एक बार फिर से पंजाब में सियासी माहौल को गरमा दिया है। किसान संगठनों का यह स्पष्ट उद्देश्य है कि उनकी आवाज को सही तरीके से सुना जाए और उनकी मांगों पर गौर किया जाए। इस प्रकार के धरने और रेल रोको आंदोलन दर्शाते हैं कि किसान अपने हक के लिए कैसे संगठित हो रहे हैं और वे अपनी बात को उठाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है, जो यह दर्शाता है कि किसान समुदाय अपनी स्थिति को लेकर गंभीर है और वे सड़क से लेकर रेलवे स्टेशनों तक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े हैं।