हिमाचल : लोक सेवक की गिरफ्तारी से पहले सरकार की अनुमति जरूरी, विधेयक पारित
शिमला, 20 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में किसी भी लोक सेवक की गिरफ्तारी से पहले सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। सरकार की अनुमति के बिना लोक सेवकों की गिरफ्तारी असंभव होगी। साथ ही एनजीओ ग्रेड-2 रैंक तक के पुलिस कर्मियों का राज्य काडर भी होगा। पुलिस कर्मियों की भर्ती के लिए बोर्ड का गठन किया जाएगा। शुक्रवार को विधानसभा पुलिस संशोधन विधेयक 2024 के पारित होने के बाद अब यह संभव होगा। पुलिस भर्ती संशोधन विधेयक को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को सदन में पेश किया था। शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने विधेयक को पारण के लिए सदन में पेश किया।
विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस कानून को लेकर एसओपी जारी करेगी। उन्होंने कहा कि संशोधन से सरकार का भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में अतिक्रमण का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि विजिलेंस व पुलिसकर्मी रिश्वतखोरी जैसे मामलों में यथावत कार्रवाई करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष विधेयक को लेकर बेवजह अंदेशा जता रहा है। मुख्यमंत्री ने सदन से विधेयक को पारित करने का भी आग्रह किया।
इससे पहले, विधेयक पर हुए चर्चा में भाजपा के रणधीर शर्मा व त्रिलोक जम्वाल ने हिस्सा लिया। भाजपा सदस्यों ने अंदेशा जताया कि इस संशोधन के बाद सरकार लोक सेवकों से गलत काम शुरू करवाएगी। उन्होंने कहा कि रिश्वत लेने वालों को बचाने का यह प्रयास है। त्रिलोक जम्वाल ने बीएनएस की धारा-35 में अतिक्रमण बताया। भाजपा विधायकों ने संशोधन को वापिस लेने की मांग सरकार से की।
विधेयक के पारित होने के बाद राज्य में जिला पुलिस शिकायत प्राधिकरणों में कनिष्ठ पुलिस अधिकारी व न्यायवादियों को भी शामिल किया जा सकेगा। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों व न्यायवादियों के उपलब्धता न होने की वजह से कई जिलों में जिला पुलिस शिकायत प्राधिकरण गठित नहीं हो सके हैं। नतीजतन शिकायतों के निपटारे में दिक्कतें आ रही हैं। कानून में संशोधन के बाद लोक सेवकों की गिरफ्तारी से पहले सरकार से अनुमति लेना भी अनिवार्य होगा। इसके अलावा एनजीओ ग्रेड-2 पुलिसकर्मियों की भर्ती के लिए पुलिस भर्ती बोर्ड का भी गठन किया जाएगा। इसी के जरिये पुलिस की भर्ती होगी।
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