जगराओं में किसानों का हल्लाबोल: मंडी खरीद बंदी के खिलाफ बड़ा धरना!

भारतीय किसान यूनियन एकता डकौंदा ने आगामी 19 दिसंबर को जगराओं के एडीसी कार्यालय के समक्ष विशाल धरने का आयोजन करने की घोषणा की है। यह आयोजन राज्य कमेटी के आह्वान पर जिला स्तर के आंदोलन के तहत किया जा रहा है। जिला प्रधान जगतार सिंह देहड़का की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस निर्णय को लिया गया। इस धरने का मुख्य उद्देश्य किसानों के विभिन्न मुद्दों को उठाना और कृषि क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए निरंकुश निर्णयों के खिलाफ आवाज उठाना है।

बैठक के दौरान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष अमनदीप सिंह ललतो ने अपने संबोधन में कहा कि मोदी सरकार ने राज्य सरकारों को अनाज मंडियों को बंद करने का आदेश देकर न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त करने का प्रयास किया है। इसके परिणामस्वरूप, कॉरपोरेट्स को अनाज खरीदने का अधिकार दिया जा रहा है, जिससे किसानों को उनके उत्पादों के लिए कम मूल्य मिल रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसान इस प्रकार के दमन का सामना करने के लिए तत्पर हैं और विनाशकारी नीतियों के खिलाफ मजबूती से खड़े रहेंगे।

किसान नेताओं ने चर्चा की कि केंद्र सरकार किसानों के हितों की अनदेखी कर कॉरपोरेट जगत के पक्ष में काले कृषि कानूनों को लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि यह नीति विश्व व्यापार संगठन की दिशा में एक नया हमला है, जो हमारे देश की कृषि और भूमि के लिए गंभीर खतरा बनी हुई है। किसान नेताओं का कहना था कि इस प्रकार की सरकारी नीतियों के खिलाफ एक संगठित आंदोलन आवश्यक है, जिससे किसान अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।

बैठक में उपस्थित नेताओं ने किसानों से अपील की कि वे दिल्ली संघर्ष के समान एकजुट होकर तैयार रहें। उनका मानना है कि केवल एकजुट होकर ही वे अपनी मांगों को मानने के लिए सरकार को मजबूर कर सकते हैं। साथ ही, बैठक में जगरूप सिंह हसनपुर, राजिंदर सिंह भनोहर, तरसेम सिंह, कुलविंदर सिंह मोही, सुखविंदर सिंह हंबारां जैसे नेताओं ने भी अपनी सहमति और समर्थन प्रदान किया।

इस प्रकार, भारतीय किसान यूनियन एकता डकौंदा का लक्ष्य न केवल किसानों के हितों की रक्षा करना है, बल्कि उन्हें संगठित और एकजुट होना भी सिखाना है। आगामी धरना किसानों के एकजुटता की एक महत्वपूर्ण मिसाल बनेगा और यह दर्शाएगा कि वे अपनी मांगों के लिए किस प्रकार सैन्य कार्रवाई कर सकते हैं। ऐसे में, यह उपयुक्त होगा कि सभी किसान नेता और संगठन इस आंदोलन में सक्रिय भागीदारी करें, ताकि कृषि से संबंधित मुद्दों का समाधान हो सके।