लुधियाना के स्कूल में शिक्षक पर दबंगई: मारपीट के बाद क्यों घोंटा गला?

लुधियाना के एक निजी विद्यालय में एक महिला अध्यापिका के साथ अत्याचार का मामला सामने आया है। इस घटना में न केवल महिला के साथ मारपीट हुई, बल्कि उसे चुन्नी से घसीटकर कमरे में बंद करने का भी आरोप लगाया गया है। इसके अलावा, महिला को बिना किसी पूर्व सूचना के नौकरी से भी निष्कासित कर दिया गया। पुलिस ने एक सप्ताह के बाद इस मामले में स्कूल के प्रधान, प्रिंसिपल, और अध्यापिका के खिलाफ मामला दर्ज किया है। घटना का स्थान हलवारा क्षेत्र के पक्खोवाल में है, और आरोपियों की पहचान प्रिंसिपल मनजीत कौर, प्रधान भूपिंदर सिंह, और रूपिंदरजीत कौर के रूप में हुई है।

पीड़ित सिमरनजीत कौर, जो गांव टूसा की निवासी हैं, ने पुलिस को बताया कि उन्होंने इसी स्कूल में मार्च से लेकर सितंबर तक अध्यापन किया। लेकिन 22 सितंबर को प्रिंसिपल मनजीत कौर ने उन्हें बिना किसी स्पष्ट कारण के नौकरी से निकाल दिया। जब सिमरन ने इस निलंबन के कारण के बारे में पूछा, तो प्रिंसिपल ने कहा कि उनके हाथ पर बने टैटू को लेकर कुछ अभिभावकों ने आपत्ति जताई है। जब सिमरन ने उन अभिभावकों से मिलने की कोशिश की, तो प्रिंसिपल ने कहा कि उन्हें पेरेंट्स मीटिंग के दौरान बुलाया जाएगा।

घटना दिनांक 24 दिसंबर को, स्कूल में सुखमनी साहिब के पाठ के दौरान हुई। जब सभी अभिभावक वहां मौजूद थे, सिमरन अपनी सहेली के साथ स्कूल आईं। पाठ समाप्त होने के पश्चात, सिमरन की सहेली को अचानक फोन आया, जिस वजह से वह बाहर गई। इसी बीच, सिमरन ने जब अपनी सहेली को देखने के लिए उठने की कोशिश की, तो पीछे से रूपिंदरजीत कौर, पूर्व प्रिंसिपल इंदरपाल कौर, और हरप्रीत कौर ने मिलकर उसे चुननी से पकड़ लिया और घसीटकर स्कूल के रिहायशी कमरे में बंद कर दिया। वहां, उनके साथ उसकी बुरी तरह मारपीट की गई।

सिमरन ने जब शोर मचाना शुरू किया, तो उसकी सहेली ने स्कूल चेयरमैन को बुलाने का प्रयास किया। जब चेयरमैन मौके पर आए, तब उन्होंने सिमरन को उन लोगों से छुड़ाया। संबंधित थाना सुधार के जांच अधिकारी एएसआई हरप्रीत सिंह ने बताया कि आरोपी अभी फरार हैं, लेकिन उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस बीच, पीड़ित महिला टीचर के समर्थन में सीटू जत्थेबंदी ने भी थाना सुधार का घेराव किया और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

यह मामला न केवल महिला की गरिमा और उसकी सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि शैक्षणिक संस्थाओं में ऐसे घटनाक्रमों को रोकने के लिए कितनी कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। स्कूल में काम कर रहे अध्यापकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को भी ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।