पटियाला नगर निगम चुनाव के नामांकन प्रक्रिया के आखिरी दिन से संबंधित घटनाएं तीव्रता से सामने आ रही हैं। इस दिन के दौरान, भाजपा के नेताओं का आरोप है कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने अचानक उनकी फाइलें छीनीं और भाग गए। वहीं, कांग्रेस नेताओं ने भी बताया कि उन्हें नामांकन दाखिल करने के लिए आगे नहीं बढ़ने दिया गया। घटनास्थल पर पुलिस तुरंत पहुंच गई और सभी गेटों को बंद कर दिया, जिससे अब सिर्फ एक गेट से लोगों को अंदर जाने की अनुमति है। आम आदमी पार्टी के नेता जॉनी कोहली ने मीडिया से बात करते हुए इसे एक ड्रामा बताया और कहा कि प्रक्रिया पूरी तरह से स्वच्छ तरीके से चल रही है।
कोहली ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल उम्मीदवार और उनके प्रस्तावक ही अंदर जा रहे हैं, जबकि अन्य लोग बाहर कतार में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी भी नामांकन दाखिल करने के लिए अंदर गई हैं। इस दिन सुबह से ही पुलिस ने सुरक्षा का कड़ा समर्पण किया था, जिससे संभावित घटनाओं से बचा जा सके। इसी बीच, लोगों ने बताया कि जैसे ही वे लाइनों में थे, कुछ अज्ञात लोग आए और उनकी फाइलें छीनकर वहां से भाग निकले। इस स्थिति के बीच भाजपा नेता जय इंद्र कौर भी वहां पहुंचीं, जिन्होंने आपातकालीन स्थिति का जायजा लिया।
कांग्रेस की एक महिला उम्मीदवार ने बताया कि जब वह नामांकन दाखिल करने गईं, तो उनकी फाइल भी छीन ली गई थी। उन्होंने समाज में हो रहे इस असामान्य घटना पर चिंता जताई और कहा कि अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आगामी चुनावों का क्या होगा। उनका कहना था कि जानबूझकर उन्हें चुनावी दौड़ से बाहर करने की कोशिश की जा रही है। इन घटनाओं के बीच, पंजाब बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी ने मीडिया को सूचित किया कि भाजपा का एक उम्मीदवार अपहरण का शिकार हो गया है।
जोशी ने खुलासा किया कि पटियाला स्थित वार्ड नंबर 48 से भाजपा उम्मीदवार निखिल कुमार काका, जो जिला पटियाला भाजपा युवा अध्यक्ष के पद पर हैं, का अपहरण किया गया है। उन्होंने बताया कि यह घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई। निखिल अपनी कार में नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए जा रहे थे, जब यह घातक घटना घटी। यह घटनाएं न केवल राजनीति के क्षेत्र में असंतोष को बढ़ावा दे रही हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल उठा रही हैं।
इस स्थिति ने स्थानीय प्रशासन और चुनाव आयोग के लिए कई चुनौतियां उत्पन्न कर दी हैं। अब सभी की निगाहें इस ओर हैं कि प्रशासन इस मुश्किल स्थिति को कैसे संभालेगा और क्या नामांकन प्रक्रिया बिना किसी और बाधा के आगे बढ़ सकेगी। इन घटनाओं को देखते हुए हर किसी को कानून व्यवस्था और शांतिपूर्ण चुनावी प्रक्रिया की अपेक्षाएं हैं, जिससे लोकतंत्र की मजबूती बनी रहे।