प्रकाशोत्सव पर अबोहर में नगर कीर्तन: पंच प्यारों की अगुआई, गुरुवाणी ने मोहा मन!

सिख धर्म के दशम पिताजी और खालसा पंथ के संस्थापक श्री गुरू गोबिंद सिंह जी का जन्मदिवस मनाने के लिए शनिवार को अबोहर में गुरुद्वारा श्री सिंह सभा द्वारा एक भव्य नगर कीर्तन का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए और धार्मिक उत्साह के साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया। नगर कीर्तन का संचालन पंज प्यारों ने किया और इसमें शहर के कई प्रमुख ढाडी तथा रागी जत्थों ने अपनी प्रस्तुति दी। यह नगर कीर्तन सुबह गुरूद्वारा साहिब से प्रारंभ हुआ और शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए पुनः गुरूद्वारा साहिब में संपन्न हुआ।

नगर कीर्तन के दौरान शहरवासियों ने श्रद्धा और भक्ति के साथ सभी जत्थों का स्वागत किया। ढाडी जत्थों ने गुरू साहिब की महिमा का गुणगान करते हुए क्षेत्र में सुख और शांति की कामना की। जब नगर कीर्तन विभिन्न गलियों से गुजरा, तब स्थानीय निवासियों ने पूरी श्रद्धा से उसका भव्य स्वागत किया। इससे वातावरण में उत्साह और आनंद की एक अलग ही लहर दौड़ गई। पिछले कुछ दिनों से चल रही प्रभात फेरियों के संचालकों ने भी इस नगर कीर्तन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिससे आयोजन और भी भव्य हो गया।

इस विशेष आयोजन में कीर्तन के दौरान विभिन्न प्रकार के आकर्षक नृत्य और करतब भी प्रस्तुत किए गए, जिसने सभी उपस्थित श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। आज शहर में कई दिनों बाद धूप भी खिली थी, जिसने कीर्तन में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को और बढ़ा दिया। सभी ने अपने परंपरागत वस्त्र पहनकर इस धार्मिक उत्सव की शोभा बढ़ाई, जिससे पूरे कार्यक्रम को एक विशेष सांस्कृतिक रंग मिला।

इस प्रकार का धार्मिक आयोजन न केवल श्रृद्धा का प्रतीक होता है, बल्कि यह समाज में एकता और सद्भाव की भावना को भी बढ़ावा देता है। श्री गुरू गोबिंद सिंह जी का जन्मदिवस मनाना हर श्रद्धालु के लिए एक अवसर होता है, जिसमें वे अपने आस्था और भक्ति को प्रकट करते हैं। अबोहर की इस धार्मिक सभा ने शहरवासियों के बीच धार्मिकता की एक नई लहर पैदा की है और सभी ने मिलकर इस मंगलमय अवसर का आनंद लिया। इस आयोजन ने न केवल स्थानीय निवासियों को एकत्र किया, बल्कि यह सिख समुदाय के बीच भी एकता की भावना को मजबूती से जगाया।

इस प्रकार, गुरु की शिक्षाओं और उनके योगदान के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए ऐसे कार्यक्रम का आयोजन महत्वपूर्ण है, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करते हैं, बल्कि सामाजिक जुड़ाव की भावना को भी बढ़ावा देते हैं।