गोल्डन टेंपल में सुनील शेट्टी का दर्शन, पंजाबी इंडस्ट्री में करेंगे धूम मचाने की तैयारी!

बॉलीवुड के विख्यात अभिनेता सुनील शेट्टी ने अपने परिवार के साथ नववर्ष का स्वागत करते हुए आज अमृतसर के गोल्डन टेम्पल में माथा टेका। इस अवसर पर उन्होंने “सरबत के भले” की प्रार्थना की, जो सिख धर्म के अनुसार सम्पूर्ण मानवता की भलाई की कामना है। सुनील शेट्टी हर साल गोल्डन टेम्पल में आकर नतमस्तक होते हैं और इस बार की यात्रा का विशेष महत्व है, क्योंकि उन्होंने कहा कि 2 जनवरी को यहाँ आने से पूरे साल अच्छे कार्य होंगे। उनके संग पत्नी माना शेट्टी और अन्य परिवार के सदस्य भी थे, जो इस धार्मिक स्थल पर आकर असीम सुख की अनुभूति कर रहे थे।

सुनील शेट्टी ने गोल्डन टेम्पल में माथा टेककर अपनी श्रद्धा प्रकट की और इसके बाद वहाँ कीर्तन श्रवण का आनंद लिया। इस धार्मिक अनुभव के बाद, उन्होंने अपने प्रशंसकों के साथ फोटो खिंचवाए। अभिनेता ने यह भी कहा कि उन्हें यहाँ आकर बहुत सुकून मिलता है और यह एक प्रकार की आध्यात्मिक रिचार्जिंग होती है। उन्होंने अपने प्रशंसकों को भी अपने जीवन में हमेशा सकारात्मकता रखने का आग्रह किया।

गोल्डन टेम्पल में आए सुनील शेट्टी ने पंजाबी सिनेमा के प्रति अपनी रुचि का इजहार किया। उन्होंने कहा कि वह पंजाबी गानों और फिल्मों की लोकप्रियता से बेहद प्रभावित हैं और यदि उन्हें कोई अच्छा प्रोजेक्ट मिला, तो वह उसमें काम करने में संकोच नहीं करेंगे। इस दौरान उन्होंने प्रमुख पंजाबी आर्टिस्ट दिलजीत दोसांझ के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने दिलजीत की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और उन्हें गर्व है कि वह दिलजीत के साथ एक फिल्म “बॉर्डर” में नजर आएंगे, जो जल्द ही रिलीज होने वाली है।

सुनील शेट्टी ने यह भी कहा कि दिलजीत एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टार बन चुके हैं और उनकी लगातार सफलता के लिए वह प्रार्थना करते हैं। उनके शब्दों में दिलजीत की मेहनत और टैलेंट की प्रशंसा साफ झलकती है। सुनील ने दर्शाया कि वह दिलजीत की सफलता के लिए शुभकामनाएँ देते हैं और चाहते हैं कि वह और भी बड़े स्टार बनें। इस तरह, सुनील शेट्टी का यह दौरा न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि मनोरंजन जगत में सहयोग और प्रशंसा की भावना को भी दर्शाता है।

इस मौके पर सुनील शेट्टी ने अपने करियर और पंजाबी सिनेमा की प्रगति पर विचार किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह भारतीय सिनेमा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखना चाहते हैं। उनका यह धार्मिक यात्रा और कृतज्ञता का भाव एक प्रेरणा है जो यह संदेश देता है कि व्यक्ति को अपने साथ-साथ समाज और संस्कृति के प्रति भी कृतज्ञ रहना चाहिए।