पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अंतिम अरदास आज दिल्ली में आयोजित की गई है। इस अवसर पर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनकी आत्मिक शांति के लिए प्रार्थना की। उन्होंने बताया कि डॉ. सिंह एक ऐसी व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्होंने अपने जीवन के कॉलेज दिनों में ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट फेडरेशन (AISSF) के कार्यकर्ता के रूप में सेवा की थी। उनके योगदान ने न केवल सिख समुदाय को बल्कि संपूर्ण देश की आर्थिक स्थिति को भी नये सिरे से आकार दिया।
डॉ. मनमोहन सिंह का शासनकाल 2004 से 2014 तक रहा, जिसमें उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। जब देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तब उनके नेतृत्व में भारत ने नये विकास के आयाम स्थापित किए। 92 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ, और उनकी आत्मा अब श्री अकाल पूरख के चरणों में विराजमान है। ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने दस्तार (पगड़ी) की गरिमा को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया और सिख संस्कृति को एक नई पहचान दिलाई।
26 दिसंबर की रात को उनका निधन हुआ। लंबे समय से बीमार रहने के बाद उन्हें घर पर बेहोश होने के बाद दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ले जाया गया था, जहां उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। अस्पताल के बुलेटिन के अनुसार, रात 9:51 बजे उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार 28 दिसंबर को निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके निधन से देश ने एक उत्कृष्ट नेता को खोया है, जिसके योगदानों को हमेशा याद किया जाएगा।
डॉ. मनमोहन सिंह की विशिष्टता उनके कार्यों में झलकती है। उन्होंने अपनी नीतियों के माध्यम से भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया। उनका कार्यकाल न केवल आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि उन्होंने कई सामाजिक नीतियों पर भी जोर दिया, जो देश के गरीब और वंचित वर्गों के उत्थान में सहायक सिद्ध हुईं। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने उनके परिवार को इस कठिन समय में धैर्य और साहस का आश्वासन दिया है, ताकि वे इस क्षति को सहन कर सकें।
मनमोहन सिंह की विरासत और उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने जो कुछ भी किया, वह भारतीय राजनीति और समाज के लिए अप्रतिम था। उनकी अंतिम अरदास में प्रार्थना की गई कि गुरु साहिब उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को इस गहन दुख को सहने की शक्ति दें। उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करना हर भारतीय का कर्तव्य है, क्योंकि उन्होंने देश की सेवा में अपने जीवन के अनमोल वर्ष समर्पित किए।