किस्मत कितनी बेरहम या मेहरबान हो सकती है, इसका अंदाजा जलालाबाद के पुरुषोत्तम शर्मा की कहानी में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। पुरुषोत्तम एक साधारण मजदूर हैं, जो अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। उन्हें कुछ वर्षों पहले एक व्यक्ति को उधार दिए गए 2000 रुपए वापस मिले, जिनसे उनकी किस्मत अचानक बदल गई। लंबे समय तक इंतज़ार के बाद, जब उन्हें ये पैसे मिले, तो उन्होंने सोचा कि क्यों न इससे कोई नया अवसर तलाशा जाए?
तीन वर्षों तक इंतज़ार करने के बाद अंततः पुरुषोत्तम को 1500 रुपए वापस मिले। उन्होंने विचार किया कि इन पैसों का उपयोग क्या किया जाए। अंत में उन्होंने 1200 रुपए का लॉटरी का टिकट खरीदने का निर्णय लिया। यह निर्णय उनके लिए बहुत सफल साबित हुआ, क्योंकि इस लॉटरी में पुरुषोत्तम की किस्मत ने साथ दिया और उन्होंने 90,000 रुपए की इनाम राशि जीती। यह न केवल उनकी मेहनत का फल था, बल्कि उनके धैर्य और उम्मीद का भी प्रतीक था।
पुरुषोत्तम खुशी से भरपूर हैं। उनकी खुशी का एकमुखी कारण यह है कि उन्होंने विजयी राशि से कुछ राशि भगवान के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए लड्डू मंदिर में चढ़ाने का निश्चय किया है। पिता की बजाए भगवान का आभार अदा करना उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, वह अपने दोस्तों के साथ इस खुशी का जश्न मनाने के लिए 5000 रुपए की पार्टी का भी आयोजन करेंगे। उनका ऐसा सोचना एक सच्चे दोस्त और परिवार की अहमियत को दर्शाता है।
बचे हुए पैसे का उपयोग पुरुषोत्तम अपने परिवार की आवश्यकताओं के लिए करेंगे। जिससे यह साबित होता है कि इस तरह की खुशियों में भी जीवन की प्राथमिकताएँ कैसे काम करती हैं। पुरुषोत्तम का कहना है कि उनकी यह सफलता और हार्दिकता उनके जीवन को बेहतर बनाने में सहायक होगी।
इस घटना के माध्यम से कई संदेश भी मिलते हैं, जैसे कि किस्मत के साथ-साथ धैर्य और उम्मीद का महत्व। यदि हम लगातार मेहनत करते रहें और अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रयासरत रहें, तो कभी-कभी किस्मत भी हमें अपनी मेहरबानी से नवाज़ती है। पुरुषोत्तम शर्मा की यह कहानी निश्चित रूप से प्रेरणा का स्रोत है और यह दर्शाती है कि जीवन में कभी भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए।