संगम की रेती पे भक्तों का रेला, इ है अमौसा का मेला 

संगम की रेती पे भक्तों का रेला, इ है अमौसा का मेला 

महाकुम्भ नगर, 29 जनवरी (हि.स.)। यज्ञ भूमि तीर्थराज प्रयाग में संगम की रेती पर चल रहे महाकुम्भ मेले के प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या की पूर्व संध्या पर आस्था का महासागर उमड़ पड़ा है। कंधे पर झोला और सिर पर गृहस्थी की गठरी लिए श्रद्धालुओं का जो रेला मंगलवार सुबह जारी हुआ वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। मेला प्रशासन के अनुसार मंगलवार सांय 4 बजे तक लगभग 4 करोड़ श्रद्धालु मेला क्षेत्र में प्रवेश कर चुके थे।वैसे तो मौनी अमावस्या के स्नानार्थियों की भीड़ मेला क्षेत्र में तीन दिन पहले से ही आनी शुरू हो गई थी लेकिन कल से आस्था का महासैलाब टूट पड़ा है। संगम की ओर आने वाली सड़कें आस्था के सामने कम पड़ती दिख रही हैं। लोगों का उत्साह और श्रद्धा मेले में आये तमाम फिरंगियों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ है।

चार हजार हेक्टेयर में बसी तंबुओं की कुम्भनगरी में कल रात श्रद्धालुओं की इतनी आमद हो गई कि लाखों लोगों का खुले आसमान के नीचे ही रात गुजारनी पड़ी और सड़कों के किनारे ही भक्तों ने खिचड़ी, दाल—चावल, रोटी, बाटी-चोखा बनाकर प्रसाद ग्रहण किया। मौनी अमावस्या स्नान के मद्देनजर महाकुम्भ मेला क्षेत्र की व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा चुका है। बावजूद यातायात और स्नान घाट अभी भी प्रशासन के लिए चुनौती हैं। इस पर दिन भर मंथन चला। हालांकि मेला प्रशासन का दावा है कि हर स्तर पर तैयारी हो चुकी है। मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर बुधवार को 8 से 10 करोड़ स्नानार्थियों के आने की संभावना है। तैयारी भी उसी हिसाब से हुई है। महाकुम्भ मेले में स्नान के लिए 12 किलोमीटर के क्षेत्र में घाटों का निर्माण किया गया है। महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना के किनारे सात पक्के घाट बनाए गए हैं। इनमें दारागंज में गंगा नदी के किनारे बने 110 मीटर लंबे और 95 मीटर चौड़े दशाश्वमेध घाट पर ‘सीटिंग प्लाजा’ (बैठने की व्यवस्था), ‘चेंजिंग केबिन’ (वस्त्र बदलने के लिए कक्ष), पार्किंग, यज्ञशाला, आरती स्थल और ध्यान केंद्र जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।इसी तरह, यमुना नदी के तट पर बने किला घाट को स्नानार्थियों की भारी भीड़ को संभालने के लिए तैयार किया जा रहा है। वहीं, यमुना नदी पर स्थित सरस्वती घाट स्नान और अन्य गतिविधियों के लिए उपयोगी होगा। गंगा नदी के तट पर काली घाट, छतनाग घाट और यमुना नदी के तट पर मोरी घाट और महेवा घाट में स्नान की व्यवस्था है। हर घाट पर अलग-अलग प्रतीक चिह्न (डमरु, त्रिशूल आदि) लगाए गए हैं, ताकि लोगों को घाटों की पहचान में आसानी हो।