पंजाब में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को इस बार अपने नए अध्यक्ष का चयन करने में महत्वपूर्ण बदलावों का सामना करना पड़ सकता है। इस चुनाव का ऐलान जनवरी 2025 के अंत में होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद किया जा सकता है। क्योंकि पार्टी पंजाब में सदस्यता अभियान को पूरा नहीं कर पाई है, जो कि संगठनात्मक चुनाव से पहले आवश्यक है, ऐसे में यदि चुनाव संभव नहीं हो पाते हैं, तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा राज्य प्रमुख को नामित किया जाएगा। वर्तमान में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का पद भरने के लिए इस महीने चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है।
पंजाब बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, और अब पार्टी में नए नेतृत्व की जरूरत महसूस की जा रही है। राज्य में सदस्यता अभियान में देरी के पीछे विधानसभा उप चुनाव और नगर निगम चुनाव जैसे कारण जुड़े हुए हैं। ऐसे हालात में, तीन पूर्व कांग्रेस नेताओं के नाम पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष पद के लिए चर्चा का विषय बन गए हैं। ये नेता सुनील जाखड़ की जगह लेने के लिए संगठन में सीनियर नेतृत्व के विचारों में शामिल हैं।
पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का समर्थन प्राप्त है। वहीं, पूर्व विधायक केवल ढिल्लों को पार्टी के पंजाब महासचिव (संगठन) एम. श्रीनिवासुलु का समर्थन हासिल है। इसके अलावा, पूर्व मंत्री राणा गुरमीत सोढ़ी को केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का सहयोग मिल रहा है। इसके अतिरिक्त, बीजेपी के वरिष्ठ नेता अविनाश राय खन्ना, अश्वनी शर्मा, तरुण चुग और सुभाष शर्मा जैसे नाम भी अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में हैं।
भाजपा पार्टी अब शिरोमणि अकाली दल के साथ तीन दशकों से चले आ रहे गठबंधन के समाप्त होने के बाद राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने के प्रयासों में जुटी हुई है। आने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए कई कांग्रेस नेताओं के पार्टी में शामिल होने से बीजेपी के वोट शेयर में भी वृद्धि देखी गई है। 2019 के पिछले आंकड़े से तुलना करें तो लोकसभा चुनाव में पार्टी का वोट शेयर 9.65% से बढ़कर 18.56% पहुंच गया है। हालांकि, इसके बावजूद, पार्टी पंजाब की 13 सीटों में से कोई भी जीतने में सफल नहीं हुई।
इस प्रकार, पंजाब बीजेपी के लिए नेतृत्व परिवर्तन और संगठनात्मक मजबूती की आवश्यकता स्पष्ट है। पार्टी को अब अपने कार्यकर्ताओं और नए समर्थकों को प्रेरित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि आगामी चुनावों में बेहतर परिणाम प्राप्त कर सके। राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि इससे पंजाब में बीजेपी की स्थिति को नया आकार देने में मदद मिलेगी।