हिंदू नेता पर हमला: निहंग हमलावर जल्द होगा भगोड़ा घोषित, 6 माह से फरार!

लुधियाना, पंजाब में कुछ महीने पहले एक दिल दहला देने वाली घटना घटी थी, जब शिव सेना पंजाब के नेता संदीप गोरा थापर को सिविल अस्पताल के बाहर निहंगों ने तलवारों से हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया था। इस हमले के बाद से पुलिस ने इस केस में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन एक प्रमुख आरोपी सुच्चा सिंह अभी भी फरार है। पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए प्रयास कर रही है और अब उन्हें भगौड़ा घोषित करने की योजना बना रही है। फिलहाल, पुलिस ने जो तीन आरोपी गिरफ्तार किए हैं, उनमें सरबजीत सिंह साबा, हरजोत सिंह जोता और जसविंदर सनी शामिल हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि जसविंदर सनी ने सुच्चा सिंह को भागने में सहायता की थी।

हमला एक सुनियोजित योजना के तहत किया गया था, जिसमें चार युवक शामिल थे। हमलावरों ने संदीप गोरा थापर को सड़क पर घेरकर उन पर 12 बार तलवारों से हमला किया। इस दौरान गोरा के साथ उनका सुरक्षा गार्ड भी था, लेकिन वह हमलावरों के सामने बेबस नजर आया। जब यह घातक हमला हुआ, तो वहां से गुजरते हुए लोग केवल मूक दर्शक बने रहे और किसी ने भी गोरा की मदद करने की हिम्मत नहीं जुटाई। शैतान की इस बर्बरता की पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।

घटना उस समय हुई जब संदीप गोरा सुखमणि साहिब के पाठ के बाद लौट रहे थे। हमलावरों ने उनकी स्कूटी को रोका और उन्हें धमकाना शुरू कर दिया। जब गोरा ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, तब एक हमलावर ने उनकी गर्दन पर वार करने की कोशिश की। इस दौरान गोरा ने हाथ जोड़कर रहम की गुहार की, लेकिन हमलावर ने उन पर वार करना जारी रखा। यह दृश्य न केवल दिल दहला देने वाला था, बल्कि यह एक गंभीर प्रश्न भी खड़ा करता है कि हमलावरों के सामने कोई भी व्यक्ति मदद के लिए आगे क्यों नहीं आया।

घटनाक्रम की जांच कर रहे थाना डिवीजन नंबर 2 के एसएचओ गुरजीत सिंह ने बताया कि सुच्चा सिंह की तलाश जारी है। पुलिस की रणनीति के अनुसार, यदि सुच्चा सिंह जल्द पकड़ा नहीं जाता, तो उसे भगौड़ा करार दिया जाएगा। पिछले छह महीनों से पुलिस सुच्चा सिंह और अन्य संदिग्धों के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी है। इस मामले में जनता की सुरक्षा और निहंगों जैसे आपराधिक संगठनों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।

संपूर्ण घटना ने न केवल स्थानीय पुलिस बल की चुनौतियों को उजागर किया है, बल्कि समाज में आक्रामकता और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। लोगों की नैतिक जिम्मेदारी और आपसी सहयोग की आवश्यकता है, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और समाज में सुरक्षित माहौल बना रहे। पुलिस की कार्रवाई और पिछले प्रयासों के बावजूद, यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या हम कहीं न कहीं अपने समाज में सहायक भावनाओं को खो रहे हैं।