डॉलर की तुलना में रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, 61 पैसा टूट कर रुपया 86.61 के स्तर पर आया

डॉलर की तुलना में रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, 61 पैसा टूट कर रुपया 86.61 के स्तर पर आया

नई दिल्ली, 13 जनवरी (हि.स.)। डॉलर इंडेक्स की मजबूती और कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी के कारण आज डॉलर की तुलना में रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। भारतीय मुद्रा आज डॉलर के मुकाबले 86 रुपये के स्तर को भी पार कर गई। इस जोरदार गिरावट के कारण भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 61 पैसे की कमजोरी के साथ 86.61 रुपये के स्तर पर बंद हुई। पिछले सप्ताह 1 प्रतिशत से अधिक की गिरावट का सामना करने के बाद रुपये का ये अभी तक का सबसे निचला स्तर है।

मुद्रा बाजार के जानकारों का मानना है कि डॉलर इंडेक्स की मजबूती और कमजोर ग्लोबल संकेतों के कारण रुपये पर लगातार दबाव बढ़ा है। साथ ही कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी और घरेलू शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली की वजह से भी डॉलर की मांग में तेजी आ गई है। इसकी वजह से भारतीय मुद्रा रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है।

मुद्रा बाजार की जानकार सर्वेश्वर दयाल सिन्हा का कहना है कि कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी के कारण भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ा है जिससे रुपये पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। साथ ही अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में जीत हासिल करने के बाद से ही डॉलर इंडेक्स लगातार मजबूत हो रहा है। डॉलर इंडेक्स की मजबूती के कारण भारतीय मुद्रा रुपया समेत दुनिया भर के ज्यादातर देशों की मुद्रा प्रभावित हुई है।

सिन्हा का कहना है कि डॉलर इंडेक्स की तेजी के साथ ही विदेशी निवेशकों की बिकवाली की वजह से भी रुपया पर दबाव बढ़ गया है। विदेशी निवेशक अपना पैसा निकालने के लिए जनवरी के पहले दिन से ही लगातार बिकवाली का दबाव बनाए हुए हैं, जिसके कारण डॉलर की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में अगर भारतीय रिजर्व बैंक में प्रभावी हस्तक्षेप नहीं किया, तो डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत 87 के स्तर तक गिर सकती है।

हालांकि बताया जा रहा है कि डॉलर इंडेक्स की मजबूती के कारण रुपये पर बने दबाव के बीच रुपये की विनिमय दर को स्थिर रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से हस्तक्षेप की अधिक संभावना नहीं है क्योंकि अक्टूबर के महीने से ही विदेशी निवेशक स्टॉक मार्केट में बिकवाली का दबाव बनाए हुए हैं, जिसके कारण देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। इस दबाव के कारण विदेशी मुद्रा भंडार भी पहले की तुलना में कमजोर हुआ है। ऐसे में अगर रुपये की कीमत को स्थिर रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रा बाजार में डॉलर का प्रवाह बढ़ाता है, तो इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक फिलहाल तटस्थ की भूमिका में भी रह सकता है, जिससे रुपये की कीमत में आने वाले दिनों में और भी गिरावट आ सकती है।

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