**भास्कर न्यूज | अमृतसर:** एक युवा प्रतिभा, इंदरप्रीत कौर, जो आज लकड़ी की कला में एक चर्चित नाम बन चुकी हैं, उनकी कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणादायक है। इंदरप्रीत कौर, जो मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स की अंतिम सेमेस्टर की छात्रा हैं, का बचपन लकड़ी के शिल्प के बीच गुजरा। एक दिन, जब वे अपने पिता के साथ काम कर रही थीं, तो उन्होंने देखा कि कैसे वे छैनी और हथौड़ी का उपयोग कर लकड़ी में अद्भुत आकृतियाँ बना रहे थे। उसी समय, उनकी 3 साल की बच्ची, जो उनके पास बैठी थी, ने अपने पिता की मदद की। यह नन्ही लड़की अपने पिता के लिए औजार लाने में मदद कर रही थी; इस सहयोग ने इंदरप्रीत पर गहरा प्रभाव डाला।
इंदरप्रीत कौर ने हाल ही में अपनी अद्वितीय ड्राइंग की एकल प्रदर्शनी “इनटू वुड्स” का आयोजन किया। यह प्रदर्शनी इंडियन एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स (एसजी ठाकर सिंह आर्ट गैलरी) में शुरू हुई है और 4 जनवरी तक चलेगी। प्रदर्शनी का उद्घाटन गैलरी के प्रमुख, राजिंदर मोहन सिंह छीना द्वारा किया गया, जबकि महासचिव परमिंदर सिंह ग्रोवर विशिष्ट मेहमान के रूप में उपस्थित रहे। इस प्रदर्शनी में इंदरप्रीत की 40 बेहतरीन ड्राइंग को शामिल किया गया है, और उनकी कला की प्रदर्शनी में कुल 200 से अधिक तैयार की गई कलाएं हैं।
इंदरप्रीत को अपने पिता, प्रसिद्ध लकड़ी के शिल्पकार नरिंदर सिंह, से कला की विरासत प्राप्त हुई है। कला के प्रति उनके समर्पण और प्रेम ने उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा है। उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार मिल चुका है और प्रांतीय स्तर पर स्टूडेंट्स कैटेगरी में 11,000 रुपये का पहला पुरस्कार भी हासिल किया है। इंदरप्रीत का कहना है कि उन्हें यह कला अपने परिवार से विरासत में मिली है और इस कला के माध्यम से वह अपने विचारों को व्यक्त करना चाहती हैं।
कला के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए, इंदरप्रीत ने सोचा कि क्यों न लकड़ी के काम को ड्राइंग के माध्यम से एक नया रूप दिया जाए। उन्होंने अपने कार्यशाला के तरीके को अपने कैनवस पर उतारना शुरू किया, जिससे उनका “इनटू वुड्स” नामक कला संग्रह तैयार हुआ। इस संग्रह में लकड़ी के काम को ड्राइंग के विभिन्न रूपों में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उनकी रचनात्मकता और अभिव्यक्ति की अनोखी छाप दिखाई देती है।
इंदरप्रीत की कला न केवल जमीन पर बनी रहती है, बल्कि यह उनके विचारों और भावनाओं का भी प्रतिनिधित्व करती है। उनकी इस प्रदर्शनी ने दर्शकों को लकड़ी की कला में नई दिशा दी है और यह साबित किया है कि पारंपरिक कलाएँ भी समकालीन रूप में जीवित रह सकती हैं। उनकी यह यात्रा निश्चित रूप से हर युवा कलाकार के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।