राजस्थान के जोधपुर जिले के लूणी विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में फैली गंभीर समस्या अब एक समाधान की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है। क्षेत्र के बंजर हो चुके खेतों और उसमें जमा काले पानी से उठने वाली दुर्गंध से स्थानीय ग्रामीणों को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इस मामले को दैनिक भास्कर ने प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए 176 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट की घोषणा की है। इस वित्तीय सहायता से नदियों के प्रदूषण को नियंत्रित करने और जल स्रोतों को सुधारने की योजना बनाई गई है, जिससे हजारों किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है।
गुरुवार को आयोजित बजट सत्र में उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने नादंडी और झालामंड क्षेत्र में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (STPs) और मुख्य सीवर ट्रंक लाइनों के पुनर्विकास कार्यों की घोषणा की। इसके साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में गंदे पानी को रोकने के लिए सीवरेज पम्पिंग स्टेशन के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह कदम इस दिशा में एक सकारात्मक पहल माना जा रहा है, जिससे ग्रामीणों को प्रदूषित जल और उससे उत्पन्न समस्याओं से छुटकारा मिलने की उम्मीद जगी है।
इस बीच, मंत्री जोगाराम पटेल ने स्थानीय विद्यालय में जाकर ग्रामीणों के समस्या के समाधान का आश्वासन दिया। उनके सामने हुई एक घटना में, जब वह धवा गांव पहुंचे, तो वहां के तालाब में जमा दूषित पानी की गंध से उन्हें मास्क पहनना पड़ा। स्थानीय लोगों का कहना है कि लूणी नदी का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो चुका है, जिससे ना केवल खेती बंजर हो गई है, बल्कि कई लोग त्वचा की समस्याओं का शिकार भी हो रहे हैं।
ग्रामीणों ने भास्कर के कार्य़कर्ताओं से कहा कि इस समस्या को हल करने के लिए कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी रही। उन्होंने बताया कि दूषित पानी से विद्यालयों में बच्चों को पीने के लिए साफ पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और कई बार स्कूलों को बंद करने की नौबत आ गई है। कैबिनेट मंत्री पटेल से जब ग्रामीणों ने अपनी समस्या सुनाई, तो उन्होंने उपाय पूछते हुए केवल आश्वासन दिया, जिसके बाद उपस्थित लोग निराश हो गए।
सामान्यतः, जोधपुर के औद्योगिक क्षेत्र में कई कारखाने हैं जो बर्तनों और वस्त्रों के निर्माण में लगे हुए हैं, और इनमें से अधिकांश अवैध रूप से प्रदूषित पानी छोड़ रहे हैं। स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस मुद्दे का समाधान होने के बजाय और भी जटिल होता जा रहा है। यह आवश्यक है कि अधिकारी इस दिशा में ठोस कदम उठाएं, ताकि भारी नुकसान में फंसे इन ग्रामीणों का जीवन सामान्य हो सके।
इस मसले पर एक ठोस कार्य योजना के बिना, ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान होना मुश्किल है। पीड़ितों का कहना है कि यदि समस्याओं का ध्यान तत्काल नहीं दिया गया, तो आने वाले भविष्य में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। इसलिए सभी संबंधित लोगों से जरूरी है कि वे इस दिशा में गंभीरता से विचार करें और कार्यवाही करें।