बिना निगरानी बच्चों के यूट्यूब उपयोग को हाईकोर्ट ने माना गंभीर, कस्टडी दादा-दादी से लेकर मां को सौंपी

बिना निगरानी बच्चों के यूट्यूब उपयोग को हाईकोर्ट ने माना गंभीर, कस्टडी दादा-दादी से लेकर मां को सौंपी

जयपुर, 3 फरवरी (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना निगरानी बच्चों के सोशल मीडिया के उपयोग को लेकर गंभीरता दिखाई है। इसके साथ ही अदालत ने 11 साल की बच्ची और उसके सात साल के भाई की कस्टडी दादा-दादी से लेकर उनकी मां को सौंप दी है। हालांकि अदालत ने दादा-दादी को हर रविवार दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक बच्चों से मिलने की छूट दी है। बच्चे पिता की मौत के बाद अपने दादा-दादी के पास रह रहे थे। अदालत ने कहा कि बच्ची वीडियो बनाने के बाद उसे एडिट कर यूट्यूब पर अपलोड कर रही है और उसके दादा-दादी को वीडियो अपलोड होने की जानकारी भी है, लेकिन वे उस पर निगरानी को लेकर उदासीन रहे। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह आदेश बच्चों की मां की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

याचिका में कहा गया कि उसके पति की किडनी की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। इस दौरान याचिकाकर्ता के किडनी नहीं देने और उसकी ननद के किडनी देने पर उसके सास-ससुर गलत व्यवहार करते थे। उन्होंने बच्चों को अपने पास रखकर याचिकाकर्ता को घर से निकाल दिया। ऐसे में उसे बच्चों की अभिरक्षा दिलाई जाए। अदालती आदेश की पालना में बच्चों को अदालत में पेश किया गया। इस दौरान अदालत की जानकारी में आया कि याचिकाकर्ता की 11 साल की बच्ची का यूट्यूब चैनल है और उसके दादा-दादी उसकी उचित देखरेख नहीं करते। बच्ची अपने पिता के फोन से वीडियो अपलोड करती है और उससे होने वाली आय याचिकाकर्ता की ननद के बेटे के पास जा रही है। इसके अलावा याचिकाकर्ता के बेटे के हाथों और चेहरे पर सूजन है और उसे लंबे समय से चिकित्सक को नहीं दिखाया गया। दूसरी ओर बच्चों ने कहा कि वह अपनी मां के साथ नहीं रहना चाहते, क्योंकि वह उन्हें मोबाइल का उपयोग करने और जंक फूड के लिए टोकती है। अदालत ने कहा कि मां ही बच्चों की प्राकृतिक संरक्षक होती है। बच्चों के दादा-दादी अनपढ़ हैं। ऐसे में बच्चों के सर्वोत्तम हित को देखते हुए उनकी कस्टडी मां को सौंपी जाती है।

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