दिल्ली-जम्मू रूट के लिए रेलवे का बड़ा कदम: पंजाब-हरियाणा में अधिग्रहण होगा भूमि!

पंजाब और हरियाणा के बीच एक नई रेलवे लाइन का निर्माण करने के लिए जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को प्रारंभ किया जाएगा। यह रेल मार्ग दिल्ली से जम्मू तक लगभग 600 किलोमीटर लम्बा होगा। निर्माण में लगी कंपनी ने सर्वेक्षण से संबंधित फाइनल स्टडी रिपोर्ट (एफएसएल) को अंबाला मंडल के रेल प्रबंधक को सौंप दिया है। यह नई रेलवे लाइन हरियाणा और पंजाब के क्षेत्रों से होकर गुजरेगी, जिससे विभिन्न राज्यों के बीच कनेक्टिविटी में वृद्धि होगी। इसके तहत हजारों एकड़ भूमि का अधिग्रहण आवश्यक होगा, जिससे आस-पास की भूमि के मूल्यों में भी वृद्धि देखने को मिलेगी।

इस विशाल परियोजना में करोड़ों रुपये का निवेश होने वाला है, जिसकी अंतिम स्वीकृति रेलवे बोर्ड द्वारा दी जाएगी। विभागीय अधिकारियों ने इस दिशा में कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। इस परियोजना के सर्वेक्षण कार्य को पुणे की एक विशेषज्ञ कंपनी को सौंपा गया है, जो इस प्रकार के काम में काफी अनुभवी है। रेलवे से निर्देश मिलते ही कंपनी ने अप्रैल 2024 में नई रेल लाइन का सर्वेक्षण कार्य आरंभ कर दिया।

सर्वेक्षण को तीन चरणों में पूरा किया गया है: पहला चरण दिल्ली से अंबाला, दूसरा अंबाला से जालंधर, और तीसरा जालंधर से जम्मू तक का है। सर्वेक्षण की रिपोर्ट दिल्ली, अंबाला और जालंधर के डिवीजनों को प्रेषित की गई है, ताकि जब यह परियोजना पूरी की जाएगी तो प्रत्येक डिवीजन अपने हिस्से की 200 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का कार्य सुचारू रूप से संभाल सके।

नई रेल लाइन के निर्माण से न केवल क्षेत्रीय विकास होगा बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। इससे यात्रा का समय भी कम होगा और ट्रेनों की आवागमन क्षमता में वृद्धि होगी। लोकल व्यवसायों को भी इसे लेकर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इस महत्वपूर्ण परियोजना से जुड़े सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है, ताकि कार्य में कोई बाधा न आए और समय पर कार्य पूरा हो सके।

इन सब पहलुओं के मद्देनजर इस परियोजना को पूरा करने के लिए रेल मंत्रालय और संबंधित विभागों के बीच समन्वय महत्वपूर्ण होगा। जैसे-जैसे यह काम आगे बढ़ेगा, स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया और सुझाव भी लिए जाएंगे, जिससे सभी हितधारकों की आवश्यकताएं पूरी की जा सकें। कुल मिलाकर, यह परियोजना न केवल परिवहन नेटवर्क को सुदृढ़ करेगी, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।