जालंधर: सीनियर डिप्टी मेयर बिट्टू समेत 5 पार्षदों पर चुनाव धांधली का मामला दर्ज!

जालंधर में आम आदमी पार्टी (AAP) के सीनियर डिप्टी मेयर बलबीर सिंह बिट्टू सहित पांच वार्डों के पार्षदों की कुर्सी संकट में पड़ गई है। इस संबंध में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने एसडीएम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि इन पार्षदों के नामांकन पत्रों में कई कमी और खामियां पाई गई हैं और इसके बावजूद चुनाव से पहले इन्हें सही तरीके से जांच नहीं किया गया। कांग्रेस के लीगल सेल ने आरोप लगाया है कि इन पार्षदों ने चुनाव प्रक्रिया में धांधली की है, जो लोकतांत्रिक सिध्दांतों का उल्लंघन है।

कांग्रेस के नेता मंगा सिंह मुद्दर ने सीनियर डिप्टी मेयर बलबीर सिंह बिट्टू के खिलाफ वार्ड नंबर 10 से एक याचिका दायर की है। उल्लेखनीय है कि बिट्टू की पत्नी करमजीत कौर भी वार्ड नंबर 11 से पार्षद हैं। उनके खिलाफ एक मतदाता अनिल कुमार ने भी याचिका प्रस्तुत की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि दोनों पार्षदों के नामांकन पत्र में आवश्यक जानकारी सही तरीके से नहीं भरी गई थी और उसमें कई खामियां पाई गईं। इसमें यह भी कहा गया है कि उनका हलफनामा नोट्रीकृत नहीं था, जिसे सरकारी तंत्र का दुरुपयोग माना जा रहा है।

कांग्रेस के सदस्य रवि सैनी ने वार्ड की पार्षद अश्विनी अग्रवाल के खिलाफ भी एक याचिका दायर की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि वर्तमान पार्षद ने जिला प्रशासन के सहयोग से 400 वोटों की हेराफेरी की है। इस तरह की घटनाएं चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठाती हैं और यह लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है। कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सतीश धीर ने भी वार्ड-24 से आम आदमी पार्टी के पार्षद अमित ढल्ल पर एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि नामांकन पत्र में सही जानकारी नहीं दी गई और अन्य गंभीर आरोप भी लगाए हैं।

इस बीच, एक और मामला सामने आया है, जिसमें वार्ड नंबर-48 से चुनाव हारने वाले स्वतंत्र उम्मीदवार शिवनाथ शिब्बू ने आम आदमी पार्टी के पार्षद हरजिंदर सिंह लाडा पर मतदान के दौरान धांधली का आरोप लगाया है। शिब्बू ने दावा किया है कि वह इस वार्ड से एक वोट के अंतर से चुनाव हार गए और इस चुनाव में हुई अनियमितताओं के चलते उनकी हार पर सवाल उठता है। यह पूरी प्रक्रिया इस बात की ओर इशारा करती है कि जालंधर की नगर निगम चुनावों में धांधली के मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है, जिसकी जांच आवश्यक है।

इन सभी याचिकाओं के साथ, जालंधर की राजनीति में काफी गर्मी आ गई है। सभी राजनीतिक दल परस्पर एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, जिससे चुनावी माहौल और भी तितर-बितर होता जा रहा है। अगर इस मामले में सही जांच होती है, तो यह तय करना कठिन होगा कि कौन सच में निर्दोष है और कौन दोषी। इस स्थिति ने जालंधर में आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है, और यह देखना बाकी है कि आगे क्या परिणाम निकलता है।