चीन के बीआरआई समझौते को आगे नहीं बढ़ाएगा पनामा, नेपाल पर भी बढ़ा दबाव
काठमांडू, 03 फरवरी (हि.स.)। अमेरिकी दबाव के बाद पनामा ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से खुद को किनारा करते हुए इसे नवीनीकरण नहीं करने का फैसला किया है। पनामा की तरह अब नेपाल सरकार पर भी बीआरआई से अलग होने का व्यापक दबाव पड़ने लगा है।
पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार पनामा नहर पर अमेरिकी नियंत्रण को फिर से लागू करने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बार-बार धमकियों के बाद चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल होने के लिए 2017 के सौदे को नवीनीकृत नहीं करेगी। यह निर्णय मुलिनो और अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो के बीच एक बैठक के बाद आया है। अमेरिका ने पनामा के नेताओं को चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि पनामा नहर पर चीनी प्रभाव को तुरंत कम करें या अमेरिका से संभावित प्रतिशोध का सामना करें।
पनामा ने 2017 में चीन के बीआरआई पर समझौता किया था, लेकिन अब 8 वर्ष के बाद उसके नवीकृत नहीं करने का फैसला चीन के लिए एक बड़ा झटका है।पनामा की तरह नेपाल ने भी 2017 में बीआरआई के प्रारंभिक समझौते पर और पिछले वर्ष दिसंबर में बीआरआई के कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। अब अमेरिका की तरफ से नेपाल सरकार पर भी बीआरआई परियोजना को लागू नहीं करने का दबाव बढ़ गया है। अमेरिका ने नेपाल में चल रहे स्वास्थ्य, शिक्षा, पूर्वधार विकास के लिए दिए जाने वाली सभी परियोजनाओं को रोक दिया है। वैश्विक स्तर पर यूएसएआईडी के जरिए होने वाली सभी फंडिंग को रोकने का नेपाल पर व्यापक असर हुआ है।
नेपाल के वित्त मंत्री ने विष्णु पौडेल ने स्वीकार किया है कि अमेरिकी फंडिंग रुकने से नेपाल सरकार के चलाए जा रहे आधारभूत स्वास्थ्य, शिक्षा और पूर्वधार विकास कार्यक्रम रुक गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अगर तीन महीने बाद भी अमेरिका की तरफ से इस पर प्रतिबंध जारी रहा तो नेपाल को कोई एक विकल्प ढूंढना पड़ेगा।
नेपाल में सामरिक मामलों के जानकार और पूर्वप्रधानमंत्री शेरबहादुर देउवा के विदेश मामलों के सलाहकार रहे अरुण सुवेदी ने कहा कि पनामा के बीआरआई से वापस होने के बाद नेपाल सरकार पर भी दबाव बढ़ा है। उन्होंने बताया कि अप्रत्यक्ष रूप से नेपाल सरकार को भी बीआरआई और अमेरिकी फंडिंग में से एक को चुनने का विकल्प दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जो स्थिति आज पनामा के साथ हुई है, वो कल नेपाल के साथ भी आएगी और नेपाल को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।
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