प्लास्टिक के महत्व के बारे में अपने विचार साझा करते हुए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक्स इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी (CIPET) के महानिदेशक प्रो. शिशिर सिन्हा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि प्लास्टिक एक अनमोल सामग्री है। उनका मानना है कि प्लास्टिक न केवल एक कुशल बैरियर के रूप में कार्य करता है, बल्कि यह बहुत ही किफायती भी है। जैसे खाना बनाने में नमक और मिर्च का सही इस्तेमाल किया जाता है, ठीक उसी प्रकार प्लास्टिक का उचित उपयोग करना जरूरी है। इस विचार के साथ उन्होंने यह भी जोड़ा कि सही जानकारी और जागरूकता के माध्यम से प्लास्टिक का सही ढंग से उपयोग किया जा सकता है।
प्रो. सिन्हा ने कहा कि सबसे पहले हमें प्लास्टिक के गुणों को समझना चाहिए; तभी हम इसके सही और सुरक्षित उपयोग के बारे में कोई निष्कर्ष निकाल सकते हैं। उन्होंने इस संदर्भ में चार महत्वपूर्ण ‘R’ के बारे में बताया – रिसाइकिल (Recycle), पुन: उपयोग (Reuse), पुनर्निर्माण (Refurbish) और पुनर्विचार (Rethinking)। इन चारों के माध्यम से हम प्लास्टिक का अधिक सुरक्षित और लाभदायक तरीके से उपयोग कर सकते हैं, जिससे हम पर्यावरण पर इसके संभावित नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं।
लखनऊ में CIPET द्वारा आयोजित 16वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान प्रो. शिशिर सिन्हा ने जानकारी दी कि प्लास्टिक के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि देश और विदेश की कई विश्वविद्यालयें रिजेक्ट कर रही हैं और CIPET के साथ स्वयं एमओयू (MOU) करने की पहल कर रही हैं। यह पहल दिखाती है कि प्लास्टिक के विज्ञान और इंजीनियरिंग में अध्ययन के प्रति छात्रों और शिक्षाविदों की रुचि बढ़ रही है।
प्रो. सिन्हा का कहना है कि सीआईपीईटी में चल रहे विभिन्न कार्यक्रम भी इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इनमें से कई गतिविधियाँ और अनुसंधान कार्य प्लास्टिक के विकास और इसके नवाचार के लिए समर्पित हैं। इस सम्मेलन में भाग लेने वाले बिजनेस लीडर, शोधकर्ता और उद्योग के विशेषज्ञ भी इस बात की सराहना कर रहे हैं कि प्लास्टिक के अधिक सकारात्मक उपयोग को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है।
इस प्रकार, प्रो. शिशिर सिन्हा के विचार न केवल प्लास्टिक के महत्व को प्रकट करते हैं, बल्कि यह भी इंगित करते हैं कि समाज को इसके सही उपयोग के बारे में जागरूक होना आवश्यक है। Plastiс को एक जिम्मेदार और सतत तरीके से प्रयोग करके, हम न केवल पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं बल्कि इसे बेहतर बनाने के लिए भी अपना योगदान दे सकते हैं। इस दिशा में चल रहे प्रयासों और जागरूकता अभियानों से भविष्य में प्लास्टिक के उपयोग को बेहतर दिशा में मोड़ने में मदद मिलेगी।