दीया मिर्जा, जो 2001 में फिल्म “रहना है तेरे दिल में” से बॉलीवुड में कदम रखीं, ने अपने करियर की शुरुआत में ही काफी चर्चा बटोरी। यद्यपि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई विशेष सफलता नहीं पा सकी, लेकिन इसने दीया को प्रसिद्धि के मार्ग पर अग्रसर कर दिया। इस दौरान उनकी तुलना ऐश्वर्या राय जैसी नामचीन अभिनेत्री से होने लगी, जिससे उनके लिए एक नई पहचान बन गई। हाल ही में जूम के साथ एक बातचीत में, दीया ने इस तुलना पर अपने विचार साझा किए हैं।
दीया ने बताया कि जब उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत की, तब उनकी उम्र केवल 19 वर्ष थी। उस युवा अवस्था में, ऐश्वर्या राय जैसी हस्ती के साथ तुलना होना उनके लिए एक प्रकार की प्रशंसा थी। लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस तुलना के चलते कभी-कभी उन पर असीमित उम्मीदें भी पैदा होने लगीं। दीया ने कहा, “इस तुलना ने मुझसे यह अपेक्षा की कि मैं भी ऐश्वर्या की तरह खूबसूरत बनूं।” इससे दबाव महसूस करना स्वाभाविक था।
उन्होंने अपने शुरुआती तीन-चार वर्षों में इस दबाव को महसूस किया और खुद को लोगों की अपेक्षाओं के अनुसार ढालने की कोशिश की। दीया ने साझा किया कि इस दौरान उन्होंने अपनी फिल्मों में हल्के रंग के लेंस पहने और खुद को उस छवि में ढालने की कोशिश की, जो अन्य लोग उनके लिए बना रहे थे। उन्होंने इसे बेहद निराशाजनक बताया, क्योंकि भले ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ब्यूटी टाइटल जीता था, फिर भी वे अपनी वास्तविकता में पूरी तरह से सहज नहीं थीं।
लेकिन दीया ने जल्दी ही यह सीख लिया कि खूबसूरती का मतलब केवल गोरी आंखें और गोरी त्वचा होना नहीं है। वे इस निष्कर्ष पर पहुंचीं कि असली खूबसूरती वह होती है, जो आप अपने आप में महसूस करते हैं। एक व्यक्ति को खुद से संतोष होना चाहिए, यही असली खूबसूरती है। दीया मिर्जा ने अपने 24 वर्षों के करियर में कई भूमिकाएं निभाई हैं और हाल ही में वे फिल्म “नादानियां” में नजर आई हैं, जो उनके अभिनय सफर का एक नया अध्याय है।
दीया मिर्जा की यह यात्रा दर्शाती है कि केवल बाहरी सुंदरता ही मायने नहीं रखती, बल्कि आत्म-सम्मान और आत्मगौरव भी अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने अपने अनुभवों के जरिए यह संदेश दिया है कि अपनी पहचान को ढूंढना और खुद पर विश्वास करना सबसे जरूरी है। उनकी यह सोच आज भी कई युवा अभिनेत्रियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।