लखनऊ में विकास प्राधिकरण (LDA) के तहत खाली प्लॉटों की जानकारी लीक होने के मामले ने एक बार फिर से साजिशों और धोखाधड़ी की वापसी को उजागर किया है। रिपोर्टों के अनुसार, LDA के कुछ कर्मचारी, जिनमें कंप्यूटर ऑपरेटर और क्लर्क शामिल हैं, जालसाजी के एक गिरोह से मिलकर काम कर रहे हैं। ये कर्मचारी जालसाजों को उन भूखंडों की जानकारी प्रदान करते हैं, जिनका आवंटन वर्षों पहले हुआ था लेकिन उनकी रजिस्ट्री नहीं की गई थी। इसके बाद, ये ठग फर्जी दस्तावेज तैयार कर भूखंड की रजिस्ट्री करते हैं। यह मामला विशेष रूप से तब उठकर आता है जब STF (स्पेशल टास्क फोर्स) ने LDA के प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया और इनमें से छह व्यक्तियों को गोमतीनगर से गिरफ्तार किया।
गिरोह में शामिल लोग LDA से प्राप्त जानकारी का इस्तेमाल करके भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री करते हैं। उनकी योजना में वकील भी शामिल होते हैं, जो ठगों को खाली प्लॉटों के फर्जी दस्तावेज तैयार करने में मदद करते हैं। गिरोह के सदस्य, जो प्लॉटों को बेचने का काम करते हैं, अक्सर खरीदारों को उनके घरों पर ही बुलाकर डीलिंग करते हैं, जिससे उन तक गिरोह का पता न पहुंचे। STF की जांच में यह भी सामने आया है कि कई रजिस्ट्री की गवाही देने वाले गवाह एक ही व्यक्ति थे, जो इस प्रकार की धोखाधड़ी को बढ़ावा दे रहे हैं।
हाल ही में LDA ने चार भूखंडों की जांच की थी, जिनकी रजिस्ट्री फर्जी साबित हुई थी। पता चला कि एक व्यक्ति की गवाही 11 रजिस्ट्री में डाली गई थी, जो धोखाधड़ी के इस मामले को गंभीरता से उठाता है। LDA ने इस पर कार्रवाई करते हुए गोमतीनगर थाने में 19 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है, जिसमें दो सेवानिवृत्त कर्मी भी शामिल हैं। इस तरह की गतिविधियों से न केवल सरकार की छवि को धक्का पहुंचता है, बल्कि आम नागरिकों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
LDA में ई-नीलामी के तहत भूखंडों और फ्लैटों की बिक्री के दौरान नियमों का पालन न होने से खरीदारों को नुकसान होता है। रोजमर्रा के काम करने वाले क्लर्क और अधिकारियों की मिलीभगत के कारण जालसाज बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के भूखंड बिक्री कर देते हैं, जिससे भ्रष्टाचार का एक बड़ा चक्र बनता जा रहा है। LDA अधिकारियों ने अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची तैयार करने का काम शुरू कर दिया है, ताकि उन पर उचित कार्रवाई की जा सके जो किसी भी मामले में लिप्त रहे हैं।
STF ने लखनऊ में जिन छह आरोपियों को पकड़ा है, उनमें गोमतीनगर निवासी अचलेश्वर गुप्ता, मल्हौर निवासी राम बहादुर सिंह, अंसल गोल्फ सिटी निवासी सचिन सिंह, विनय खंड निवासी मुकेश मौर्या, विराम खंड निवासी राहुल सिंह और विपुल खंड निवासी धनंजय सिंह शामिल हैं। यह मामला न केवल भ्रष्टाचार को दर्शाता है, बल्कि उससे जुड़े अधिकारियों की जिम्मेदारी को भी उजागर करता है। सरकार को अब जल्द से जल्द इस मामले में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि पब्लिक में विश्वास की पुनर्स्थापना हो सके और ऐसे जालसाजों को कड़ी सजा मिल सके।