कानपुर में एक च shocking घटना घटी है, जहाँ एक पालतू जर्मन शेफर्ड ने अपनी 91 वर्षीय मालकिन मोहिनी त्रिवेदी की जान ले ली। यह दर्दनाक हादसा विकास नगर में होली के दिन, 14 मार्च की शाम को हुआ। उस समय मोहिनी, उनकी बहू किरण और पोते धीर प्रशांत त्रिवेदी घर में उपस्थित थे। यह उल्लेखनीय है कि मोहिनी के पति 20 साल पहले गुजर चुके थे और उनके बेटे का निधन भी कुछ समय पहले हुआ था। इस स्थिति में, मोहिनी अपने परिवार के साथ रह रही थीं, जबकि उनके पोते ने हाल ही में एक जर्मन शेफर्ड पाल रखा था।
घटना के समय, धीर और किरण दोनों ही एक सप्ताह पहले हुए हादसे में घायल हो चुके थे, जिसके कारण वे चलने-फिरने में असमर्थ थे। मोहिनी जब आंगन की ओर जाने लगीं, तब कुत्ते ने उन पर निर्गमन करके चौतरफा हमला किया। माता-पुत्र दोनों ने बचाने की कोशिश की, लेकिन उनकी स्थिति के कारण वे उसके पास नहीं पहुँच सके। करीब दो घंटे तक कुत्ता मोहिनी पर हमला करता रहा, जिससे उनका शरीर खून से लथपथ हो गया। पड़ोसी भी इस भयावह दृश्य को देख कर साहस नहीं जुटा सके, और अंततः रावतपुर थाने की पुलिस और नगर निगम की टीम ने पहुँचकर कुत्ते को काबू में किया।
घटनास्थल पर पहुंचे डॉक्टरों ने मोहिनी त्रिवेदी को मृत घोषित किया। परिवार तथा मोहल्ले के लोग इस भयावह घटना से दहशत में आ गए। मोहिनी के पोते धीर ने बताया कि 10 मार्च को कुत्ता घर से भाग गया था, और उसे पकड़ने के प्रयास में वह गिरकर घायल हो गया, उसी प्रकार किरण भी बाथरूम में गिर गई थीं। इन घटनाओं के चलते, दोनों ही बचाने के लिए नहीं पहुँच सके। मोहली की खून से सनी लाश देखकर पूरे मोहल्ले में मातम छा गया।
इस बीच मोहल्ले के निवासियों ने बताया कि यह कुत्ता पहले भी कई बार लोगों पर झपट चुका था और इसकी हिंसक प्रवृत्ति के कारण मोहल्ले में डर का माहौल था। लोग इस कुत्ते के बारे में अधिक जानकारी देते हुए बताते हैं कि इसकी जर्मन शेफर्ड नस्ल के कारण यह बहुत खूंखार था और परिवार भी इसे हैंडल करने में कठिनाई महसूस कर रहा था। इस कुत्ते के मालिक धीर की अपने पालतू कुत्ते के प्रति खास मुहब्बत के चलते, नगर निगम की टीम द्वारा कुत्ते को पकड़ने के बावजूद, धीर ने इसे वापस मांगने का फैसला किया है।
घटना के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने कुत्ते को रेस्क्यू सेंटर भेज दिया, जबकि पुलिस ने मामले को संज्ञान में लेकर अपनी कार्रवाई जारी रखी। हालांकि, परिवार ने मृतका मोहिनी का पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया है। ऐसे में यह साफ प्रतीत होता है कि यह घटना कानपुर में पालतू जानवरों के प्रति समाज में बढ़ती हुई गंभीरता और सतर्कता की आवश्यकता को दर्शाती है।