राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा जवाहर कला केंद्र में आयोजित पांच दिवसीय 24वां कला मेला रविवार को भव्य रूप से संपन्न हुआ। यह मेला कला, संस्कृति और सृजनशीलता से भरपूर था, जिसने न केवल कलाकारों बल्कि कला प्रेमियों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। समापन समारोह में मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर डॉ. जितेन्द्र सोनी ने जयपुर की सांस्कृतिक धरोहर की प्रशंसा करते हुए कहा, “जयपुर एक ऐसा शहर है जो अपनी विरासत को संजोने के साथ-साथ कला और साहित्य का भी आदर करता है। इस कला मेले ने नवोदित कलाकारों को अपनी कृतियाँ प्रदर्शित करने का एक अनूठा मंच प्रदान किया है।”
मेले में राजस्थान समेत अन्य राज्यों के 600 से अधिक कलाकारों ने 118 स्टॉल्स पर अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन किया, जिससे दर्शकों की भारी भीड़ जुटी। विशेष आकर्षण में दिवंगत वरिष्ठ कलाकारों की कृतियों का अद्भुत प्रदर्शन, उन पर आधारित एनिमेटेड लाइट एंड साउंड शो, और लोक नाट्य ‘रम्मत’ की प्रस्तुतियाँ शामिल थीं। इन कार्यक्रमों ने दर्शकों को खासतौर पर प्रभावित किया और कला के प्रति उनकी रुचि को और बढ़ाया।
समापन समारोह में ‘ऑन द स्पॉट पेंटिंग कॉम्पिटिशन’ के टॉप 10 प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। इन प्रतिभागियों में विष्णु प्रजापत, अर्जुन सैनी, अनामिका गुप्ता, निशा मीणा, सौरभ यादव, करणी सिंह, यशिका जांगिड़, योगेश सिंह चौहान, जयश्री शर्मा और विक्रम कुमार शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, 24वें कला मेला पुरस्कार से सन्त कुमार, दिलीप कुमार डामोर, नीरजा शेखावत, मुकेश कुमार, सुरेश प्रजापति, केके कुंडारा, शिवपाल कुमावत, मदनलाल राजोरिया, रविप्रकाश कोली और वंदना शर्मा को मान्यता दी गई। विशेष पुरस्कार भुवि केशवानी को प्रदान किया गया, जिसने अपनी कला से सभी को प्रभावित किया।
राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव डॉ. रजनीश हर्ष ने इस सफल आयोजन के लिए उपमुख्यमंत्री और कला-संस्कृति मंत्री दीया कुमारी, शासन सचिव डॉ. रवि जैन और अकादमी प्रशासक पूनम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन सबके सहारे और मार्गदर्शन से यह मेला कला प्रेमियों और कलाकारों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन सका है। इस मेले ने कलाकारों की नई पीढ़ी को सृजनात्मकता और कला के प्रति समर्पित होने का प्रेरणा दी है, जिससे भविष्य में भारतीय कला की और विकास की उम्मीदें बढ़ी हैं।
कला मेला केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि एक ऐसी विशेषता है जो समाज में कला और संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाती है। इस आयोजन ने यह सिद्ध किया कि कला का सम्मान और प्रसार आवश्यक है, और भविष्य में भी ऐसे आयोजनों की आवश्यकता बनी रहेगी ताकि अधिक से अधिक कलाकार अपने हुनर को प्रदर्शित कर सकें।