TMKOC का ‘ए पागल औरत’ विवाद: महिला विरोध पर डायलॉग हटाया, ‘सास’ और ‘कपिल’ पर भी असर

टीवी शो ‘तारक मेहता का उलटा चश्मा’ का एक प्रसिद्ध डायलॉग ‘ए पागल औरत’ हाल ही में चर्चा का विषय बना। दिलीप जोशी, जो इस शो में जेठालाल का किरदार निभाते हैं, ने यह डायलॉग इम्प्रोवाइज करते हुए कहा था और यह टेलीविज़न दर्शकों के बीच तुरंत लोकप्रिय हो गया। लेकिन, कुछ समय बाद इस डायलॉग पर विवाद उत्पन्न हुआ, जिसके चलते इसे शो से हटा दिया गया। दिलीप जोशी ने एक पॉडकास्ट में बताया कि यह डायलॉग सेट पर अचानक मुँह से निकल गया था और लोगों को यह बहुत पसंद आया, लेकिन महिला संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई, जिससे शो के निर्माताओं को इसे हटाने का निर्णय लेना पड़ा।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी टीवी शो के डायलॉग या सीन पर बवाल हुआ हो। 2004 में प्रसारित होने वाले शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में एक विवादास्पद सीन था, जिसमें नंदिनी (गौरी प्रधान) के किरदार के साथ अंश (आकाशदीप सहगल) ने जबरदस्ती की। महिला आयोग से आपत्ति आने के बाद, एकता कपूर को समन जारी किया गया। विवाद बढ़ने के कारण शो के निर्माताओं को इस सीन को हटाना पड़ा और भविष्य में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता महसूस हुई।

इसी तरह, 2016 में ‘द कपिल शर्मा शो’ में नर्सों को गलत ढंग से प्रस्तुत करने के आरोप लगे। अमृतसर के कई मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों की नर्सिंग स्टाफ ने शो के खिलाफ प्रदर्शन किया, यह कहते हुए कि नर्सों का मजाक उड़ाया जा रहा है। नर्सिंग संगठनों के विरोध को देखते हुए मेकर्स को इस बारे में स्पष्टीकरण देना पड़ा।

2018 में ‘इश्क सुभान अल्लाह’ शो में ट्रिपल तलाक पर आधारित कुछ सीन मुस्लिम संगठनों को पसंद नहीं आए। उनकी आपत्ति के चलते निर्माताओं को कुछ बदलाव करने पड़े ताकि किसी की धार्मिक भावनाएं आहत न हों। ‘पहरेदार पिया की’ शो में तो 9 साल के बच्चे की शादी का दृश्य पेश किया गया था, जिसे दर्शकों ने ‘पिछड़ा’ माना और इसके बैन की मांग की। अंततः, इस शो को बंद कर दिया गया।

टीवी शो के निर्माता इस बात को समझते हैं कि दर्शकों की सोच और संवेदनाएं अलग-अलग हो सकती हैं। कभी-कभी एक डायलॉग या सीन को मजाकिया के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जबकि कुछ दर्शक इसे सामाजिक या धार्मिक दृष्टिकोण से गलत मानते हैं। इस प्रकार के विवादों के चलते निर्माताओं को अक्सर प्रदर्शनों का सामना करना पड़ता है और अपने कंटेंट में आवश्यक परिवर्तन करने पड़ते हैं।

इससे यह स्पष्ट होता है कि टीवी शो का कंटेंट न केवल मनोरंजन का साधन होना चाहिए, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारियों का पालन करते हुए तैयार किया जाना चाहिए। आयोजकों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके प्रस्तुत किए गए डायलॉग और सीन किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुँचाए और दर्शकों के बीच सकारात्मक संदेश पहुँचाए।