उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को 70 जिलों में नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का ऐलान किया। हालांकि, 28 जिलों में नेताओं के बीच असहमति और गुटबाजी के कारण चुनाव को टालना पड़ा। इन जिलों में वाराणसी, चंदौली और कौशांबी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के संसदीय क्षेत्रों के रूप में जाने जाते हैं। नियुक्त किए गए 70 जिलाध्यक्षों में से 44 नए चेहरे हैं, जिनमें 5 महिलाएं भी शामिल हैं, जबकि 26 को दूसरी बार मौका दिया गया है। इस नियुक्ति प्रक्रिया में भाजपा के प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व के बीच असहमति देखने को मिली, जो पहले कभी नहीं हुआ था।
भाजपा ने नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के दौरान संभावित विरोध और हंगामे को रोकने के लिए एक सुनियोजित रणनीति अपनाई। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने चुनाव पर्यवेक्षकों के साथ-साथ वरिष्ठ नेताओं को स्थानीय स्तर पर भेजकर स्थिति को नियंत्रित किया। हर जिले में बैठक का लाइव प्रसारण किया गया, जिससे कि नेता और कार्यकर्ता एकत्र न हो सकें और विरोध प्रदर्शन से बचा जा सके। धर्मपाल सिंह ने पूरे घटनाक्रम को अपने नियंत्रण में रखा और सुनिश्चित किया कि लाइव कवरेज के चलते कहीं भी विरोध न हो।
राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय का कहना है कि चुनावी साल होने के कारण प्रभावशाली नेता अपने अनुयायियों को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए सक्रिय रहे। जिन जिलों में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो सकी, वहां भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष नियुक्ति करेंगे। इस प्रक्रिया के कारण भाजपा में गुटबाजी का खात्मा होगा और नेताओं के बीच सहमति बनी रहेगी। उन्हें उम्मीद है कि नए प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में नियुक्तियां शीघ्र संपन्न होंगी।
भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व, जिसने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय को संगठन चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया था, 200 से अधिक मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति में हुई देरी पर चिंतन कर रहा है। राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि यदि इस प्रक्रिया में और देरी होती है, तो आगामी चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है। वहीं, पांडेय स्वयं अपने गृह जिले चंदौली में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति में सफल नहीं हो पाए, जिससे उनकी स्थिति पर सवाल खड़े हो गए हैं।
इस मुद्दे से संबंधित एक और महत्वपूर्ण बयान में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछली सरकारें केवल माफिया का समर्थन करती थीं, जबकि उनकी सरकार ने “वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट” पहल की शुरूआत की है। इस पहल के तहत हस्तशिल्पियों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो पहले से ही मौजूद थे लेकिन पूर्व सरकारों के समय कोई संजीवनी नहीं मिली। योगी का यह बयान भाजपा की सकारात्मक छवि को उजागर करने के लिए है, जिससे मतदाता वर्ग को पार्टी के प्रति और आकर्षित किया जा सके।