जयपुर ब्लास्ट में जिंदा बम पर आज अहम फैसला: चार आरोपी बरी, दो जमानत पर!

जयपुर में 17 वर्ष पूर्व हुए सीरियल बम धमाकों के मामले में, चांदपोल क्षेत्र के रामचंद्र मंदिर के पास मिले जिंदा बम की घटना से जुड़े चार आरोपियों पर फैसला शनिवार को सुनाया जाएगा। इस मामले की सुनवाई जयपुर बम ब्लास्ट मामलों की विशेष अदालत में जज रमेश कुमार जोशी द्वारा की जाएगी। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसले की तारीख तय की। पहले भी, इस अदालत ने 2018 में बम ब्लास्ट के आठ मामलों में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में उच्च न्यायालय ने सजा को रद्द करते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। इस संदर्भ में राज्य सरकार की अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

2008 में 13 मई को जयपुर में एक साथ हुए आठ सीरियल बम ब्लास्ट से देश को दहशत में डाल दिया था। इन धमाकों के लगभग 11 साल बाद, 20 दिसंबर 2019 को विशेष अदालत ने सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी और एक अन्य नाबालिग को मौत की सजा सुनाई थी। दूसरी ओर, एक अन्य आरोपी शाहबाज अहमद को बरी किया गया था। लेकिन, उच्च न्यायालय के फैसले ने सभी आरोपियों को 29 मार्च 2023 को बरी कर दिया, जिससे जांच एजेंसियों की कमजोरी उजागर हुई थी। इसके पश्चात एटीएस ने मामले की नई सुनवाई के लिए सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की, जिसमें तीन नए गवाहों को जोड़ा गया।

सुनवाई के दौरान कुल 112 गवाहों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें पत्रकार प्रशांत टंडन, पूर्व एडीजी अरविंद कुमार और साईकिल कसने वाले दिनेश महावर शामिल थे। आरोपियों की तरफ से उनके वकील मिन्हाजुल हक ने बताया कि बचाव पक्ष ने कोई गवाह पेश नहीं किया। उनका कहना था कि इस मामले और पहले के ब्लास्ट मामलों में समान तथ्य हैं, और इन तथ्यों के आधार पर उच्च न्यायालय ने आरोपियों को पहले ही बरी किया था। अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि मंदिर के सामने साइकिल किसने रखी थी।

इन चार आरोपियों में से सैफुर्रहमान और मोहम्मद सैफ वर्तमान में जयपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं, जबकि मोहम्मद सरवर आजमी और शाहबाज अहमद जमानत पर बाहर हैं। मामले के इस अनसुलझे पहलू को लेकर अदालत का निर्णय आने से पूर्व सभी पक्षों में उत्तेजना बनी हुई है। इस सुनवाई के परिणाम का गहरी नजर से इंतजार किया जा रहा है, क्योंकि यह न केवल प्रभावित परिवारों के लिए, बल्कि समग्र न्याय प्रणाली के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। अदालत का फैसला न केवल न्याय की प्रक्रिया को दर्शाएगा, बल्कि यह भी स्पष्ट करेगा कि क्या आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं या नहीं।