पन्नू के बयान से AAP की चिंता: पाकिस्तान के साथ गहरी साजिश का पर्दाफाश?

आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के बयान के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) ने पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। AAP के प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने स्पष्ट किया कि बाजवा को हाईकोर्ट से मिली राहत कुछ शर्तों के आधार पर है, जिसमें बयान नहीं देने तथा जांच में सहयोग करने की शर्तें शामिल हैं। पार्टी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि पन्नू का बाजवा के समर्थन में दिया गया बयान पंजाब की शांति के लिए खतरा हो सकता है।

इस संदर्भ में AAP ने मन में उठते कई सवालों की ओर इशारा किया है, जिसमें प्रमुख है कि गुरपतवंत पन्नू और प्रताप बाजवा दोनों के बयानों में समानता क्यों है? क्या बाजवा का पाकिस्तान से कोई संबंध है? AAP ने कहा कि एक ओर जहां पन्नू भारत में आतंक फैलाने की धमकियां देता है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष के नेता बाजवा उसकी बातों का समर्थन कर रहे हैं। इससे यह पता चलता है कि यह कोई साधारण संयोग नहीं है, बल्कि कहीं न कहीं एक गहरी साजिश का संकेत है।

पंजाब के कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि “पंजाब में 50 ग्रेनेड लाए जा चुके हैं”, जिसके बाद पन्नू ने उनके इस बयान का समर्थन किया। पन्नू ने कहा कि बाजवा का कहना सही है कि खालिस्तान समर्थकों के पास अब हथियार पहुंच चुके हैं, जिससे सुरक्षा की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़ा हो गया है। AAP ने इस बात को लेकर एक बार फिर चिंता जाहिर की है कि क्या ये बयान पंजाब में आतंकवाद बढ़ाने की एक और योजना का हिस्सा है।

विशेष अदालत ने गुरुवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की सुनवाई दर्ज की, जिसमें सरकारी ओर से बाजवा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई थी। यह आदेश 22 अप्रैल तक प्रभावी रहेगा। अमन अरोड़ा ने बताया कि बाजवा को मिली राहत एक सख्त शर्तों के अंतर्गत दी गई है, जिसमें यह शामिल है कि उन्हें जांच में सहयोग करना होगा, विदेश नहीं जाना है और इस मामले में कोई विवादास्पद बयान नहीं देना है।

इस पूरे मामले के चलते आम आदमी पार्टी ने मांग की है कि इसकी उच्चस्तरीय जांच कराई जाए ताकि इस हड़कंप के पीछे का सच सामने आ सके। AAP का यह आरोप है कि दोनों नेताओं के बयानों की समानता यह संकेत करती है कि क्या पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोई नई योजना बनाई जा रही है। इस तरह के विवादों से न केवल राजनीतिक स्थिरता प्रभावित होती है, बल्कि आम जनता में भी असुरक्षा का माहौल बनता है। ऐसे में AAP की इस मांग की पूरी राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्णता है।