बैसाखी: सागर मुनि शास्त्री ने बताया इसे ‘शुद्धता का प्रतीक’!

अमृतसर | अध्यात्म केंद्र चौक पसियां स्थित प्राचीन मंदिर श्री जय कृष्णियां में बैसाखी का त्यौहार और वैशाख महा संक्रांति का भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर सबसे पहले श्रीमद् भागवत गीता का पाठ किया गया, जिसके बाद मंदिर की 800 वर्ष पुरानी पूजा विधि का विधिविधान से आयोजन किया गया। इस समारोह में श्रद्धालुओं ने प्राचीन परंपराओं का सम्मान करते हुए देवता की पूजा की।

समारोह के दौरान मंदिर संचालक दर्शनाचार्य सागर मुनि शास्त्री ने कहा कि बैसाखी का त्यौहार केवल फसल के आगमन का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह सिक्ख संप्रदाय की नींव रखने का भी दिन है। उन्होंने बैसाखी के महत्व को बताते हुए कहा कि यह त्यौहार मानव जाति को शुद्धता और सद्गुणों का पालन करने का संदेश देता है। शास्त्री जी ने इस दिन की महत्ता पर जोर देते हुए सभी श्रद्धालुओं को सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

इस आयोजन में कई प्रमुख व्यक्ति भी शामिल हुए, जिनमें अंजना लूथरा, नीलम महाजन, पूजा शिंगारी, देवदास, राकेश महाजन, अरुण चौहान और अमित शिंगारी शामिल थे। इन सभी ने मिलकर कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान सभी ने भगवान की कृपा के लिए प्रार्थना की और अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।

बैसाखी का त्यौहार हर साल उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है, विशेषकर पंजाब में, जहां यह कृषि के प्रारंभ को दर्शाता है। इस दिन लोग एकत्रित होते हैं, एक-दूसरे को बधाई देते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ सामुदायिक मेलजोल का आनंद लेते हैं। इस प्रकार का समारोह केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे का भी प्रतीक है।

आखिरकार, बैसाखी का त्यौहार न केवल भू-भाग की समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह मानवता के लिए एक जागरूकता का भी माध्यम है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि हमें हमेशा दयालु और शुद्ध विचारों के साथ जीना चाहिए, ताकि हम अपने समाज को एक बेहतर दिशा में ले जा सकें। इस प्रकार, प्राचीन मंदिर श्री जय कृष्णियां में हुआ यह समारोह न केवल धार्मिक आस्था का परिचायक है, बल्कि यह सामाजिक सद्भावना को भी बढ़ावा देता है।