प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हो रहा है संस्कृति का नवोदय – स्वामी अवधेशानंद गिरि

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हो रहा संस्कृति का नवोदयः स्वामी अवधेशानंद गिरि

नई दिल्ली, 18 अप्रैल (हि.स.)। जूना अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने शुक्रवार को कहा कि साल 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में भारत की संस्कृति का नवोदय हुआ है। भारत का सनातन हिन्दू समाज इस समय जिस गौरव की अनुभूति कर रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संस्कृति पर विचारों और भाषणों का संकलन ‘संस्कृति का पांचवा अध्याय’ पुस्तक के विमोचन के मौके पर अवधेशानंद गिरी संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज विश्व धरोहर दिवस के मौके पर इस किताब का विमोचन किया जा रहा है। यह अपने आप में विशिष्ट बात है। साल 2014 के बाद सर्वत्र नई दिशाएं, नवाचार देखने को मिल रहा है। भारत के सबसे बड़े जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने एक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वे 2008 में जब पुर्तगाल में थे तो पहली बार एक योगी ने योग दिवस की कल्पना और चर्चा की थी और 21 जून को इसे मनाने का विचार साझा किया था। तब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। यह योग दिवस की कल्पना भी तब साकार हो पाई जब वे प्रधानमंत्री बने। अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा हो या अन्य श्रेष्ठ भारतीय धरोहर, वे सब भारत लौट रहीं हैं और उनपर हमें यदि गर्व हो रहा है तो इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को ही जाता है। यहां तक कि 2014 से पहले मेरे ही अनेक निकट प्रेमी मुझसे कहते थे कि आप हिन्दू संस्कृति की बात न कहकर सनातन संस्कृति या भारतीय संस्कृति शब्द प्रयोग किया करें। आज परिस्थिति बदल गई है और लोग गर्व के साथ अपनी हिन्दू संस्कृति और उसकी पहचान और धरोहर पर गर्व करते हुए दिखाई देते हैं। यह प्रधानमंत्री मोदी की झूठी स्तुति या अतिरेक सम्मान की बात नहीं है बल्कि संस्कृति के एक उपासक के तौर पर उन्होंने जो कार्य किया है, उसको इस पुस्तक के माध्यम से भी समझा जा सकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि ‘संस्कृति का पांचवां अध्याय’ पुस्तक भारत के सांस्कृतिक इतिहास व वर्तमान के बीच कड़ी की तरह है। इस पुस्तक में प्रधानमंत्री मोदी के भारतीय संस्कृति पर केंद्रित 34 भाषण हैं। हरिवंश ने कहा कि 2014 के बाद से भारत में सर्वत्र जो बदलाव देखा जा रहा है, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। याद कीजिए कि किसी ने भी 2014 से पहले विकसित भारत की बात तक की हो। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उस विकसित भारत का सपना न केवल जन-जन की आंखों में उतार दिया है बल्कि 2047 तक उस लक्ष्य को पाने का एक खाका भी खींच दिया है। हम लोगों के बीच जाएंगे तो हमें आभास होगा कि लोगों की भारत को देखने की सोच बदल गई है। भारत के प्रति गर्व करने का भाव भी बदला है और भारत के प्रति आत्मविश्वास भी पैदा हुआ है। और यह केवल भारत के लोगों में ही नहीं हुआ है बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की छवि में व्यापक बदलाव देखने को मिला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अपनी संस्कृति और धरोहर पर गर्व करने वाला यह नया भारत है। पुस्तक का पुरोकथन लिखने वाले पद्मभूषण रामबहादुर राय ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में जो संस्कृति की झलक मिलती है, उसे इस पुस्तक के माध्यम से समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद महान साहित्यकार रामधारी सिंह दिनकर ने संस्कृति के चार अध्याय नामक पुस्तक में जो स्थापित करने का प्रयास किया था, यदि दिनकर जीवित होते तो आज उसमें सुधार करते। उस पुस्तक की प्रस्तावना लिखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने संस्कृति को लेकर जो अनुत्तरित सवाल खड़े किए थे, प्रधानमंत्री मोदी ने समय समय पर उसका जवाब दे दिया है। उसे इस पुस्तक के माध्यम से समझा जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि ‘संस्कृति का पांचवा अध्याय’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विभिन्न अवसरों पर दिए गए भाषणों का संकलन है। इसमें भारतीय संस्कृति, परंपराओं, आध्यात्मिक मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख है। पुस्तक की प्रस्तावना राम बहादुर राय ने लिखी और संकलन डॉ. प्रभात ओझा ने किया है। प्रभात प्रकाशन ने इस पुस्तक का प्रकाशन किया है।

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