मलमास खत्म होने का दिखने लगा असर: फिर गूंजी शहनाई,कई जोड़े बंधे परिणय सूत्र में
जयपुर, 16 अप्रैल (हि.स.)। सूर्य के राशि परिवर्तन के बाद से ही शादियों समेंत मांगलिक आयोजनों का दौर एक बार फिर से शुरु हो गया है। बुधवार को विवाह की शहनाई सुनाई दी। नवसंवत्सर के बाद शुरु होने वाले विवाह आयोजन में 22 सावे ऐसे है जो मुहूर्त के हिसाब से हैं और 5 अबूझ सावे ऐसे है जिनमें विवाह आयोजन हो सकेंगे। 14 अप्रेल से 6 जुलाई तक 82 दिनों में 28 विवाह के मुहूर्ते रहेंगे। इसके अलावा 10 मुहूर्त ऐसे है जिसमें गृह प्रवेश, गृहारंभ, यज्ञोपवीत सहित अन्य मांगलिक कार्य भी संपन्न होंगे। ये सभी मुहूर्त 6 जुलाई तक रहेंगे। इसके बाद 1 नवंबर को देव शयन को चले जाएंगे।
ज्योतिषाचार्य डॉ महेंद्र मिश्रा ने बताया कि 14 अप्रेल को ग्रहों के राजा सूर्यदेव ने अपना राशि परिवर्तन कर मीन राशि को छोड़कर अपनी मेष राशि में प्रवेश कर लिया है। सूर्यदेव के इस राशि परिवर्तन के साथ ही मलमास समाप्त हो गया था। जिसमें वैवाहिक एवं मांगलिक आयोजन का पहला चरण शुरु हो गया है। ये पहला चरण 6 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, गृहारंभ, यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो गए थे। इस बार दोष रहित 10 रेखा के 2 सावे रहेंगे। 9 रेखा के 2 सावे, 8 रेखा के 6 सावे और 7 रेखा के 8 सावों पर वैवाहिक आयोजन हो सकेंगे। नवसंवत्सर के बाद अप्रेल माह से 6 जुलाई तक 22 सावे अलग-अलग रेखी रहेंगे और 6 सावे अबूझ रहेंगे। जिसमें अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा का सावा महत्वपूर्ण है।
14 जून काे होंगे गुरु अस्त, इस बीच अबूझ मुहूर्ते
ज्योतिषाचार्य महेंद्र मिश्रा ने बताया कि 14 जून को गुरु अस्त होंगे और तारा लगने से एक बार फिर मांगलिक कार्य पर रोक लग जाएगी। गुरु 7 जुलाई तक अस्त रहेंगे। लेकिन इस बीच 5 स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्ते जिसमें मांगलिक कार्य संपन्न हो सकेंगे। 30 अप्रेल को आखातीज (अक्षय तृतीया) का अबूझ सावा होगा। वहीं दूसरा सावा 5 मई को जानकी नवमी पर रहेगा। 12 मई को वैशाखी पूर्णिमा (पीपल पूर्णिमा) का अबूझ सावा रहेगा। इसके बाद 5 जून को गंगादशमी,4 जुलाई को भड़ल्या नवमी और 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी का अबूझ मुहूर्त रहेगा।
देवशयनी एकादशी के बाद नहीं होंगे मांगलिक कार्य
6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के बाद देवता शयन को चले जाएंगे। जिसके बाद विवाह और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। जो एक नवंबर को देव प्रबोधिनी (देवउठनी) ,एकादशी से शुरु होगा।
ग्रहों के हिसाब से ये बन रहे है विवाह के शुभ मुहूर्ते
इस बार ग्रहों के अनुसार अप्रेल में 16, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 29,30 तारीख विवाह के लिए शुभ मुहूर्त हैं। इसके बाद मई में 1, 5, 6, 7, 8, 13, 15, 17, 18, 19, 24, 28 शुभ मुहूर्त है। वहीं जून माह में 1, 2, 4, 7, 8, 9 तारीख के शुभ मुहूर्त है।
विवाह के लिए मुहूर्त सबसे जरुरी
ज्योतिषाचार्य डॉ मिश्रा ने बताया कि हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार खरमास के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है। अप्रेल में 9 मई में 12 और जून में 6 दिन सावे है। इसके बाद चातुर्मास लग जाएगा। शादी -विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसमें शुभ मुहूर्त होना जरुरी है। शादी के शुभ योग के लिए नौ ग्रहों में बृहस्पति,शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरुरी है। रवि -गुरु का संयोग सिद्धि दायक और शुभ फलदायी होते है। इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है। जब भी ग्रहों का गोचर या चाल बदलती है तो इनका शुभ-अशुभ प्रभाव सभी राशि के लोगों पर पड़ता है।
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