हरियाणा में वरिष्ठ अधिकारियों की संपत्तियों का हाल हाल ही में सामने आया है, जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े कई प्रमुख अधिकारियों की प्रॉपर्टी का विवरण शामिल है। जैसे कि हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की उत्तर प्रदेश में एक आम का बाग है, और इसके साथ ही पंचकूला और गुरुग्राम में उनके फ्लैट भी हैं। गृह सचिव सुमिता मिश्रा ने दिल्ली में एक प्रॉपर्टी का मालिकाना हक रखा है, जिसकी कीमत करीब तीन करोड़ पचास लाख रुपये है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री नायब सैनी के प्रिंसिपल सचिव अरुण गुप्ता की हिसार में ढाई करोड़ रुपये की जमीन है।
IAS अधिकारियों में प्रमुख अशोक खेमका का नाम भी चर्चा में आया है, जिनके पास गुरुग्राम में तीन करोड़ का फ्लैट है। वहीं, हरियाणा के पुलिस प्रमुख, DGP शत्रुजीत कपूर की प्रॉपर्टी हरियाणा के अलावा पंजाब के मोहाली, कपूरथला और बठिंडा में फैली हुई है। वह अपनी पत्नी के नाम पर गुरुग्राम में चार करोड़ रुपये का घर भी रखते हैं। CID चीफ सौरभ सिंह के पास उत्तर प्रदेश में पांच एकड़ ज़मीन है।
ये सभी जानकारियां IAS और IPS अधिकारियों द्वारा केंद्र सरकार को दिए गए विवरण में सामने आई हैं। हरियाणा कैडर के अधिकारियों ने केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय (DOPT) को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उन्होंने बताया है कि वे किन फार्म हाउस, घर और प्लॉट के मालिक हैं, और उनकी संपत्तियों का अनुमानित मूल्य क्या है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा कैडर में वर्तमान में 169 IAS और 106 IPS अधिकारी सक्रिय हैं।
दैनिक भास्कर ने इन अधिकारियों की संपत्तियों की विस्तृत जानकारी एकत्रित की है। उन्होंने टॉप और चर्चित अधिकारियों की संपत्तियों का बारीकी से अध्ययन किया है। इस रिपोर्ट में शीर्ष पांच IAS अधिकारियों और आठ IPS अधिकारियों की संपत्तियों की जानकारी के साथ-साथ प्रदेश के शीर्ष पांच जिलों के DC-SP की प्रॉपर्टी की भी जानकारी दी गई है।
इस तरह के खुलासे से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी अधिकारी भी अपने निजी जीवन में संपत्तियों के मामले में काफी सक्रिय हैं। यह भी ध्यान देने योग्य है कि सरकारी नीतियों और कार्यों पर अधिकारी अपनी संपत्तियों के माध्यम से अपनी आर्थिक स्थिति का प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे मामलों में पारदर्शिता बेहद जरूरी है ताकि जनता को इस तरह के आंकड़ों का सही अंदाजा हो सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकारी संपत्तियों का गलत उपयोग नहीं हो रहा है। इन जानकारी को सामने लाने का उद्देश्य न केवल पारदर्शिता लाना है, बल्कि इसी के माध्यम से समाज में अधिकारियों की संपत्ति से संबंधित जागरूकता बढ़ाना भी है।